भोपाल, अप्रैल 2016/ सिंहस्थ में धर्मालुओं, पर्यटकों, संतों की सेवा का कार्य स्थानीय लोगों के साथ सिंहस्थ सेवादल द्वारा करने की परम्परा भी पुरानी है। सिंहस्थ सेवादल वर्ष 1956-57 से अपने मौलिक संगठित स्वरूप में आया। सन् 1956 में आयोजित सिंहस्थ के पूर्व तक भारत स्काउट एवं गाईड, सेवा समिति एवं कांग्रेस सेवादल स्वतंत्र रूप से सेवा कार्य करती रही थी। सन् 1956 में तीनों संस्थाओं ने सिंहस्थ सेवादल का गठन करते हुए एक साथ सेवा कार्य करने का निर्णय लिया। सिंहस्थ सेवादल की निर्वाचित कार्यकारिणी का गठन, शिविर अधिकारियों का चयन, सेवादल के नियम बनाना एवं नियमों की पुस्तिका का प्रकाशन भी किया जाने लगा है।
राज्य सरकार द्वारा सन् 1980 में सिंहस्थ सेवादल को मान्यता प्रदान करते हुए सेवादल के लिये आवास, भोजन, परिवहन एवं गणवेश की सुविधा भी देना शुरू किया है। सन् 1992 में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) एवं वर्ष 2004 से नृसिंह तैराकी दल द्वारा भी सिंहस्थ सेवादल के सेवा कार्यों में सह-भागिता की जा रही है। सिंहस्थ-2016 में सिंहस्थ सेवादल में एक और संस्था राष्ट्रीय केडेड कोर (एनसीसी) भी जुड़ कर अपनी सेवाएँ दे रही हैं। सिंहस्थ 1992, 2004 एवं 2016 में राज्य शासन द्वारा श्री प्रकाश चित्तौड़ा को लगातार तीसरी बार सिंहस्थ सेवादल के अध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सिंहस्थ सेवादल द्वारा संतों एवं श्रद्धालुओं की सेवा करना, भूले-भटके यात्रियों को गंतव्य तक पहुँचाना बच्चों एवं बिछड़े को परिवारजनों से मिलाना, असहाय की यथा संभव सहायता करना, वृद्ध, अशक्त एंव बीमारों को प्राथमिक चिकित्सा, गंभीर बीमारों को प्राथमिक चिकित्सा, गंभीर बीमारों को चिकित्सालय पहुँचाने, प्याऊ एवं भोजन की व्यवस्था में सहायता, घाटों पर डूबने से बचाने, आगजनी होने पर रोकथाम सहायता प्रदान की गई। चेन स्नेचरों को पकड़वाने में मदद, पंचक्रोशी यात्रियों की आँख में आई ड्राप डालने व मल्हम वितरण आदि कार्य में सराहनीय सहयोग किया गया है। वर्तमान में सिंहस्थ सेवादल के पाँच घटक समन्वित रूप से सेवा कार्य संपादित करेंगे।
सिंहस्थ सेवादल द्वारा सिंहस्थ 2004 में भी महत्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान की गई। सिंहस्थ सेवादल में शामिल भारत स्काउट एवं गाईड के 950 स्वयंसेवक ने 4 शिविर आयोजित किये, 6 लोग को डूबने से बचाया, 2 लोगों की आगजनी होने पर सहायता की, 50 हजार परिचय-पत्र बनाये, पंचक्रोशी यात्रा के दौरान 350 यात्रियों को उपचार सहायता एवं 166 यात्रियों को उपचार के लिये चिकित्सालय में भर्ती करवाया तथा उलटी दस्त की दवाइयाँ वितरित की गई। यातायात व्यवस्था एवं भीड़ नियंत्रण में भी सहयोग किया। सेवादल में शामिल सेवा समिति के 650 स्वयंसेवक ने एक शिविर लगाया, 3 लोग को डूबने से बचाया, 10 हजार परिचय-पत्र बनाये। पंचक्रोशी यात्रा के दौरान मल्हम वितरण, भारी सामान परिवहन तथा घाटों पर भीड़ प्रबंधन में भी सहयोग किया। इसी तरह 2 शिविर लगाये। पेशवाई मार्ग और विभिन्न मंदिरों में व्यवस्थाओं में सहयोग, पंचक्रोशी यात्रियों को सहयोग, भारी सामान परिवहन, प्राथमिक चिकित्सा कार्य में सहयोग तथा यातायात व्यवस्था एवं भीड़ नियंत्रण में सहयोग किया गया। राष्ट्रीय सेवा योजना के 250 स्वयंसेवकों ने एक शिविर लगाया, 2 लोगों को डूबने से बचाया, आग लगने पर प्रभावितों की मदद की, 5200 परिचय-पत्र बनाये, पंचक्रोशी यात्रा में 500 यात्रियों को प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करवायी और 10 यात्री को चिकित्सालय में भर्ती करवाया। घाटों और फ्लेग स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन में सहयोग किया। नृसिंह तैराकी दल के 400 स्वयंसेवक ने पिछले सिंहस्थ में एक शिविर लगाया, 250 लोग को डूबने से बचाया और घाटों पर भीड़ प्रबंधन में सहयोग किया था। इस तरह सिंहस्थ सेवादल द्वारा सिंहस्थ महापर्व में श्रद्धालुओं की सेवा में समर्पित होकर सराहनीय सहयोग किया गया है। सिंहस्थ-2016 में भी सिंहस्थ सेवादल ने श्रद्धालुओं की सेवा कार्यों और यातायात व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन में सहयोग करने का संकल्प लिया है।