भोपाल,  नवंबर, 2015/ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नवम्बर के पहले सप्ताह में प्रदेश की कृषि विकास का नया रोडमैप बना लिया जाएगा। प्रदेश में छोटे किसानों के लिए खेती का आदर्श मॉडल विकसित किया जाएगा। इसमें छोटे जोत के किसानों के लिए खेती को फायदे का धंधा बनाने पर जोर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज प्रशासन अकादमी में कृषि मंथन-कृषि क्षेत्र में आगामी वर्षों के लिए टास्क फोर्स की चर्चा के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन किसान के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। बढ़ती लागत ने किसान का मुनाफा घटा दिया है। फसलों का विविधिकरण समाप्त हो गया है। चार साल से किसान प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहा है। फसल खराब होने से किसान की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। किसान ऋण के जाल में फँस जाता है इससे निपटना हमारे सामने बड़ी चुनौती है। उत्पादन के साथ इनपुट कॉस्ट बढ़ गई है। अधिक उत्पादन की चाह में उर्वरकों का अनियंत्रित उपयोग हो रहा है। जिससे भूमि की उर्वरा क्षमता नष्ट हो रही है। प्रमाणिक कीटनाशक और बीज उपलब्ध करवाने की चुनौती भी है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि छोटी जोत के किसान को आदर्श खेती का प्रारूप बनाकर देना होगा, तब ही वह बच सकेगा। किसान की उपज का वाजिब मूल्य उपलब्ध करवाना होगा। केवल खेती किसान की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं कर सकती। खेती के साथ अन्य कोई गतिविधि को भी जोड़ना होगा। किसानों को अन्य क्षेत्रों में प्रशिक्षित करना होगा। कृषि विभाग के अमले, कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि विश्वविद्यालय और किसानों को एक इकाई के रूप में काम करना होगा। पानी के बेहतर उपयोग की व्यवस्था विकसित करना होगी। पशुपालन का ऐसा मॉडल बनाना होगा जो आर्थिक रूप से फायदेमंद हो।

उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों में प्रदेश में अन्न का उत्पादन दोगुना हो गया है। प्रदेश में कृषि की विकास दर में सर्वाधिक 24 प्रतिशत है। प्रदेश में खेती को फायदे का धंधा बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। शून्य प्रतिशत ब्याज पर किसानों को फसल ऋण उपलब्ध करवाया गया है। उन्होंने कहा कि कृषि के लिए दीर्घकालीन योजना बनाई जाएगी।

कृषि मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि मध्यप्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हासिल की है। प्रदेश में कृषि केबिनेट ने फोकस होकर निर्णय लिए हैं। जलवायु परिवर्तन और कीट प्रकोप से निपटने की चुनौती हमारे सामने है। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर कृषि योजना बनाना होगी। फसलों की ऐसी प्रजातियाँ विकसित करना होगी जो सब तरह के मौसमों के अनुकूल हो।

मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा ने कार्यशाला की रूपरेखा बताई। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में प्रदेश में अन्न उत्पादन दुगना हुआ है। पिछले वर्ष प्रदेश में साढ़े चार सौ लाख मेट्रिक टन अन्न उत्पादन हुआ है। कार्यशाला में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कृषि वैज्ञानिक, विद्वान भाग ले रहे हैं।

कार्यशाला में वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया, राजस्व मंत्री श्री रामपाल सिंह, राज्य कृषक आयोग के अध्यक्ष श्री बंसीलाल गुर्जर, कृषि टास्क फोर्स के सदस्य श्री ज्ञानेन्द्र सिंह, श्री अशोक गुलाटी और श्री पंजाब सिंह सहित वैज्ञानिक, किसान, बैंकर्स और अधिकारी उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here