भोपाल, नवंबर, 2015/ विज्ञान एवं तकनीक के इस युग में विश्व में नॉलेज टूरिज्म के प्रति लोगों की रुचि और रुझान बढ़ रहा है। जरूरत इस बात की है कि नॉलेज टूरिज्म को बढ़ावा देने विशेषज्ञों से शोधपूर्ण प्रचार साहित्य तैयार करवाकर छोटी-छोटी फिल्में बनवाकर प्रदर्शित की जाये। विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये जरूरी है कि पर्यटन स्थल या नगर को साफ-सुथरा बनाने पर समुचित ध्यान दिया जाये। यह बात आज यहाँ ‘परमारकालीन वास्तु-कला पर संवाद” विषय पर राज्य पर्यटन विकास निगम के संवाद सत्र में लेखक और फोटोग्राफर श्री संगीत वर्मा ने कही।
अत्यंत रोचक और ज्ञानवर्धक सत्र में भोपाल की चर्चा करते हुए कहा कि भोपाल ताल का निर्माण जिस लय और समिष्टि में हुआ उसी का सुफल है कि लगभग 1000 साल से यह तालाब सुरक्षित है और आकर्षण का केन्द्र है। राजा भोज के ‘समरांगण सूत्रधार’ की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि भोपाल की रचना बड़ी रुचिकर है। नगर में 16 खण्ड, 6 रास्ते और 9 चौराहे तथा राजमार्ग (महारथ्य) का पूरा ध्यान रखा गया था। भोपाल की स्थापना में काल और क्षेत्र का भी ध्यान रखा गया है। ये दोनों अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही हैं।
पर्यटन वर्ष 2016 के अवसर पर निगम द्वारा किये जाने वाले कार्यक्रम की श्रंखला में ‘मध्यप्रदेश पर्यटन इतिहास व्याख्यान माला” में श्री संगीत वर्मा ने मध्यभारत में परमार वंश की स्थापना एवं वंशावली तथा परमार शासकों का मध्य भारत में शासन एवं संक्षिप्त इतिहास के संबंध में जानकारी दी। श्री वर्मा ने परमार स्थापत्य से जुड़ी पर्यटन संभावनाओं पर भी चर्चा की।
व्याख्यान में श्री संगीत वर्मा द्वारा परमार शासकों द्वारा की गयी स्थापत्य कला के विस्तृत विवरण में भोजपाल नगर के पूर्व की स्थापनाएँ, भीम कुंड का निर्माण, भोजपाल और कालियासोत तालाब का निर्माण, भोजपाल की नगर रचना, भोजपुर मंदिर का निर्माण, भोजताल में जलमग्न संरचनाएँ, सभा मण्डल,धारानगरी (धार) की रचना के संबंध में विस्तार से बताया। यह व्याख्यान-माला पूरे पर्यटन वर्ष में प्रतिमाह की जायेगी।