भोपाल, अगस्त 2015/ मध्यप्रदेश में एक अगस्त, 2015 से ‘सम्पदा” सॉफ्टवेयर के माध्यम से दस्तावेजों के ई-पंजीयन की प्रक्रिया अनिवार्य कर दी गयी है। इस प्रकार ई-पंजीकृत दस्तावेजों में सिस्टम जनरेटेड ई-स्टाम्प का ही उपयोग किया जाता है। लोक कार्यालयों में प्रस्तुत होने वाले ई-स्टाम्पों की जाँच के लिये महानिरीक्षक पंजीयन ने कुछ टिप्स दिये हैं।
ई-स्टाम्प के बेकग्राउण्ड प्रिन्ट में पूरे पृष्ठ पर छोटी-छोटी पंक्तियों में ‘DEPARTMENT OF REGISTRATION AND STAMPS’ छपा है। इसके मध्य में मध्यप्रदेश का चिन्ह भी अंकित है। फोटो कॉपी अथवा स्केन किये जाने पर इसका प्रिन्ट तथा चिन्ह धुंधला हो जाता है या दिखायी नहीं देता। यह छाप प्री-प्रिन्टेड न होते हुए कम्प्यूटर से ई-स्टाम्प के प्रिन्ट होने पर ही ऑप्टिकल वॉटर मार्क इंजन से आती है।
ई-स्टाम्प के निचले भाग पर अंकित माइक्रो प्रिन्ट में ई-रजिस्ट्री का क्रमांक (अल्फा न्यूमेरिक) अथवा ई-स्टाम्प क्रमांक (न्यूमेरिक) दर्ज किया जाता है, जिसे मेग्नीफाइंग ग्लास की सहायता से देखा जा सकता है। फोटो कॉपी अथवा स्केन कर प्रिन्ट किये जाने पर यह माइक्रो प्रिन्ट पठनीय नहीं रहता। ई-स्टाम्प के निचले दाएँ भाग पर अंकित क्रिप्टोमार्क में भी ई-रजिस्ट्री का क्रमांक अथवा ई-स्टाम्प क्रमांक अंकित होता है, जिसे विभाग द्वारा जिला पंजीयकों को उपलब्ध करवायी जा रही ट्रान्सपेरेन्सी की मदद से पढ़ा जा सकता है।
ई-स्टाम्प के ऊपरी दाहिने हिस्से पर क्यू आर कोड भी उपलब्ध है। किसी भी स्मार्ट फोन पर उपलब्ध क्यू आर कोड स्केनर के द्वारा ई-स्टाम्प से संबंधित सभी विवरण बहुत आसानी से पढ़े जा सकते हैं। ई-स्टाम्प को लोक अधिकारी द्वारा कन्ज्यूम किये जाने का प्रावधान भी ‘सम्पदा’ में किया जा रहा है, ताकि इसका पुन: उपयोग न किया जा सके। इस संबंध में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया के संबंध में अलग से अवगत करवाया जायेगा। आवश्यक होने पर उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जायेगा।
कोई भी व्यक्ति ‘सम्पदा’ के अंतर्गत रजिस्टर्ड यूजर बनकर ई-स्टाम्प टैब में ई-स्टाम्प फंक्श्नेलिटी के अंतर्गत ई-स्टाम्प नम्बर दर्ज करके उससे संबंधित विवरण, जैसे उक्त ई-स्टाम्प किसके द्वारा, किस दिनांक को, किस समय तथा किस प्रयोजन हेतु जारी किया गया है, ज्ञात कर सकता है। उल्लेखनीय है कि यदि ई-स्टाम्प में टेम्परिंग कर दूसरे व्यक्ति का नाम फर्जी तरीके से अंकित कर दिया गया हो, तो यह जानकारी मेल नहीं खायेगी।
जिन दस्तावेजों का रजिस्ट्रीकरण नहीं करवाया जाता है, तो उनके संबंध में ई-स्टाम्प, सर्विस प्रोवाइडर द्वारा ही जनरेट किया जायेगा, किन्तु जिन दस्तावेजों का रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य है, उनमें सर्विस प्रोवाइडर द्वारा केवल ई-स्टाम्प कोड जारी किया जाता है। ई-स्टाम्प उप पंजीयक कार्यालय में ही जनरेट किया जाता है। जिन दस्तावेजों का रजिस्ट्रीकरण नहीं करवाया जाता है, उनसे संबंधित ई-स्टाम्प पर सर्विस प्रोवाइडर के तथा रजिस्ट्रीकृत दस्तावेजों से संबंधित ई-स्टाम्प पर उप पंजीयक के डिजिटल सिग्नेचर होंगे।
विनिर्दिष्ट से निम्न ई-स्टाम्प जारी करने, उसकी अनुलिपि करने अथवा इलेक्ट्रॉनिक स्टाम्पिंग प्रणाली के साथ छेड़-छाड़ करने को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अधीन आपराधिक कार्यवाही बनाया गया है।