भोपाल, जुलाई 2015/ तेज वारिश से कई बार पेयजल स्त्रोत दूषित हो जाते हैं। इनके पानी के उपयोग से पीलिया, उल्टीदस्त जैसे संक्रामक रोग फैलते हैं। आम जनता से दूषित पानी एवं खाद्य पदार्थ का उपयोग न करने तथा वर्षाजनित रोगों से बचाव की सलाह दी है। वातावरण में नमीं बढ़ जाने तथा अधिक तापमान के कारण रोगों के विषाणु अधिक सक्रिय हो जाते हैं। दूषित पानी एवं भोजन के द्वारा इनका मनुष्यों में संक्रमण होता है। संक्रमण होने पर उल्टीदस्त हैजा, पेचिस, पीलिया,टायफाइड आदि रोगों का प्रकोप होता है। इससे बचाव के लिये साफ पानी का पीने में उपयोग करें। पेयजल स्त्रोत में ब्लीचिंग पावडर तथा लाल दवा डालकर पानी का शुद्धिकरण करें।

भोजन में ताजे खाद्य पदार्थो, फल-सब्जी आदि उपयोग करें। पीने के पानी एवं खाद्य पदार्थो को ढककर रखें। भोजन बनाने तथा खाने से पहले एवं शौंच के बाद साबुन से अच्छी तरह से हाथ धोयें। संक्रामक रोगों का शिकार होने पर तत्काल निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र अथवा चिकित्सालय जाकर डाक्टर से जॉंच कराकर उचित दवायें लें। अपने घर तथा परिवेश को साफ-सुथरा रखें। बरसात का पानी घरों के आस-पास जमा न होने दें। नालियों की नियमित सफाई कराते रहें। आस-पास जमा गन्दे पानी में मच्छर पनपते हैं। मच्छरों से बचाव के लिये सोते समय मच्छरदानी का अनिवार्य रूप से उपयोग करें। यही सबसे कारगर उपाय है। बुखार से पीड़ित होने पर खून की जॉच अवश्य करायें। जॉच में मलेरिया पाये जाने पर पूरा उपचार करें।

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