भोपाल, जुलाई 2015/ ऐसा लगता है कि व्यापमं मामले ने मध्यप्रदेश की पूरी राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था को बंधक बना लिया है। विपक्ष ने ठान लिया है कि सड़क से विधानसभा तक वे इस मुद्दे के अलावा किसी और मामले पर बात ही नहीं करेंगे। दूसरी तरफ सरकार और सत्तारूढ़ दल सफाई देते देते बेहाल हुए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र भी तीन दिन तक व्यापमं घोटाले के बादलों से घिरा रहने के बाद बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इससे पहले हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी थी। सोमवार से शुरू हुआ मानसून सत्र 31 जुलाई तक चलना था। कार्यवाही में लगातार बाधा पैदा होने के कारण इसे मात्र तीन दिनों में ही संपन्न कर दिया गया।

मानसून सत्र के तीसरे दिन कार्यवाही शुरू होते ही बसपा विधायकों ने व्यापमं मामले को उठाया। ये विधायक नीले रंग का एप्रिन पहन कर आए थे। जिन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग का जिक्र था। इन्होंने प्रश्नकाल शुरू होने के पहले ही विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा की आसंदी के नजदीक नारेबाजी शुरू कर दी। इसी बीच भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह के बेहद आक्रामक मुद्दा में बसपा विधायकों की ओर बढने के कारण स्थिति और अप्रिय हो गई। संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्र ने अपने स्थान से उठकर कुशवाह को शांत किया और उनकी सीट पर बैठाया। दरअसल पहला सवाल श्री कुशवाह का ही था। वे सवाल पूछना चाहते थे। लेकिन हंगामे के चलते बोल नहीं पा रहे थे। इस मसले पर हंगामा हुआ और दो अलग अलग बार कार्यवाही स्थगित की गई।

कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर विपक्ष के नेता सत्यदेव कटारे ने मंगलवार को उनके साथ हुई कथित मारपीट और कांग्रेसी विधायकों की सुरक्षा का मामला उठाते हुए इस बारे में निंदा प्रस्ताव का जिक्र किया। इस पर अध्यक्ष के जवाब से असंतुष्ट कटारे ने आसंदी को लेकर असम्मानजनक टिप्पणियां कीं। जिसका सत्तारूढ दल ने जमकर विरोध किया।

इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से हुए हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यसूची में शामिल सभी विषयों को लगभग आधे घंटे में पूरा करवा दिया। हंगामा जारी रहने के कारण अध्यक्ष ने कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद विपक्ष के सदस्य सदन से नारेबाजी करते हुए निकले और विधानसभा परिसर में सदन के बाहर सीढ़ियों पर ही धरने पर बैठ गए।

सदन में बुधवार को वित्त वर्ष 2015-16 के पहले अनुपूरक अनुमान से संबंधित विनियोग विधेयक- मप्र निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक मप्र श्रम विधियां (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक मप्र अधोसंरचना विनिधान निधि बोर्ड (संशोधन) विधेयक मप्र तंग करने वाली मुकदमेबाजी (निवारण) विधेयक मप्र औद्योगिक सुरक्षा बल विधेयक और मप्र वैट संशोधन विधेयक बगैर चर्चा के ही ध्वनिमत से पारित कराए गए।

20 से 31 जुलाई तक चलने वाले 12 दिवसीय मानसून सत्र में कुल 10 बैठकें होनी थीं। सरकार के सामने सबसे बड़ा काम वित्त वर्ष 2015-16 के लिए 85 अरब 91 करोड रुपयों से से अधिक का पहला अनुपूरक अनुमान पारित करवाने का था जा हो गया।

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