भोपाल, जून  2015/ वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री जयंत मलैया ने कहा है कि अच्छे परिवेश में कार्य करने से कार्य-कुशलता बढ़ती है। इससे जहाँ काम करने वालों को आसानी होती है, वहीं आम-जनता को अच्छी सुविधाएँ मिलती हैं।

श्री मलैया यहाँ अरेरा पहाड़ी पर 8 करोड़ 55 लाख लागत से निर्मित नवीन पंजीयन भवन का लोकार्पण कर रहे थे। उन्होंने भवन में स्थापित किये गये पंजीयन संग्रहालय का उदघाटन भी किया। संग्रहालय में पिछली शताब्दी सहित विभिन्न कालखंडों के दुर्लभ दस्तावेज प्रदर्शित किये गये हैं। इनमें बैनामे दस्तावेज, पुराने स्टाम्प पेपर, नापतौल के उपकरण, नजरी नक्शे आदि शामिल हैं। एक दस्तावेज सागर जिले के ऐरन स्थित मकान से संबंधित है, जो गुप्तवंशी राजा समुद्रगुप्त की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। एक किरायानामा 1941 का है जो चार आने के स्टाम्प पर निष्पादित किया गया है। स्टाम्प के बीच के हिस्से में ब्रिटिश भारत के अंतिम शासक किंग जार्ज षष्टम की तस्वीर है।

श्री मलैया ने आधुनिक सुविधाओं से युक्त नवीन पंजीयन भवन के सभी प्रभागों को देखा। इसके बाद एक बैठक में उन्होंने विभागीय अधिकारियों से चर्चा की। बैठक में बताया गया कि वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश राज्य के निर्माण के समय प्रदेश का पंजीयन राजस्व एक करोड़ रुपये था, जिसकी तुलना में गत वर्ष 4000 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है।

श्री मलैया ने कहा कि पंजीयन विभाग का निरंतर कायाकल्प हो रहा है। इससे आम नागरिकों और कर्मचारी-अधिकारी को काफी सुविधा होगी। इस अवसर पर प्रदेश के पंजीयन कार्यालयों के कायाकल्प पर आधारित एक फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। बताया गया कि प्रदेश के 56 पंजीयन कार्यालय के भवनों का कायाकल्प किया जा चुका है। साथ ही 234 कार्यालय में इंटीरियर का कार्य जारी है।

प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि विभाग में राजस्व बढ़ाने की गति लगातार जारी रहेगी और नागरिकों को बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध करवायी जायेंगी। महानिरीक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक श्रीमती दीपाली रस्तोगी ने भवन की मुख्य विशेषताएँ बतायी। इस अवसर पर प्रमुख सचिव विधि श्री विरेन्दर सिंह, पूर्व महानिरीक्षक पंजीयन श्रीमती स्नेहलता कुमार तथा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।

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