भोपाल, जून 2015/ राज्य शासन ने अपनी घोषणा के अनुरूप महिलाओं के ड्रायविंग लायसेंस नि:शुल्क बनाने तथा लोक परिवहन सेवा को अधिक सुगम एवं सुरक्षित बनाने के लिए मध्यप्रदेश मोटरयान नियमों में संशोधन प्रस्तावित किए हैं। परिवहन विभाग ने इस आशय के प्रस्तावों की अधिसूचना मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) में 22 जून 2015 को प्रकाशित की है।
मध्यप्रदेश मोटरयान नियम 1994 में प्रस्तावित संशोधन के अनुसार अब यात्री वाहन चालकों को अपना नेत्र परीक्षण हर वर्ष करवाना होगा, तभी उसके ड्रायविंग बेज का नवीनीकरण किया जाएगा। ड्राईव्हर को अपने साथ चिकित्सा व्यवसायी का इस आशय का प्रमाण-पत्र साथ भी रखना होगा, कि वह किसी नेत्र रोग अथवा रतौंधी से ग्रस्त नहीं है। यदि नेत्र रोग की बीमारी से ग्रस्त है तो विहित किए गए चश्में की सहायता से उसका उपचार कर दिया गया है।
प्रस्तावित संशोधन में शिक्षार्थी एवं स्थायी ड्रायविंग लायसेंस के लिए पहली बार आवेदन करने वाली महिला आवेदकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाना प्रस्तावित है।
अब अन्तर्राज्यीय मार्गों की यात्री बसों को दस वर्ष के परमिट और राज्य के अन्दर चलने वाली यात्री बसों को 15 साल तक का परमिट जारी किये जाने का प्रस्ताव है। प्रस्ताव के अनुसार अब 32+2 सीट वाली यात्री गाड़ी को केवल 75 कि.मी. तक का परमिट मिलेगा। अभी इन्हें 150 कि.मी. तक की दूरी के परमिट दिए जाते थे।
संशोधन प्रस्ताव में अब ग्रामीण परिवहन सेवा के परमिट 7+1 सीट क्षमता वाली गाड़ियों को जारी करने का प्रावधान किये गये हैं। अभी 22 सीटर गाड़ियों को यह परमिट दिया जाता है। इसी प्रकार ग्रामीण परिवहन सेवा का रूट पर मेन रोड से 10 कि.मी. तक की दूरी तय की है। अभी यह दूरी मेन रोड से 15 कि.मी. तय है।
अब प्रत्येक लोक सेवा यान (वाहन), प्राइवेट सेवा यान, ठेका गाड़ी और शिक्षण संस्थाओं के वाहनों में केन्द्रीय यान नियम 1989 के नियमानुसार दो मुख्य दरवाजे के साथ-साथ वाहन की दाँयी तरफ न्यूनतम 50X90 सेन्टीमीटर आकार का एक आपातकालीन दरवाजा लगवाना अनिवार्य रूप से लगाना प्रस्तावित किया गया है।
इन प्रस्तावित संशोधनों पर इच्छुक व्यक्ति अपनी आपत्ति एवं सुझाव मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशित सूचना की तारीख से 30 दिन की अवधि में दे सकेंगे। आपत्ति एवं सुझाव प्रमुख सचिव, परिवहन विभाग, कक्ष क्रमांक-210, मंत्रालय (वल्लभ भवन) को कालावधि के अवसान के पूर्व कार्यालयीन समय में अवश्य मिलना आवश्यक है। तभी राज्य सरकार द्वारा इन पर विचार किया जाएगा।