भोपाल जून 2015/ योग एक सम्पूर्ण विज्ञान है। विश्व को यह भारत की अनमोल देन है। योग का अर्थ है जोड़ना, सामंजस्य करना, संतुलित करना। संतुलन और सामंजस्य से जीवन सुखमय तथा इसके अभाव में दु:खमय होता है। शरीर, मन और कर्म में संतुलन; इच्छा, क्रिया और ज्ञान में संतुलन; सत्व, रज और तम में संतुलन। इसी संतुलन से मनुष्य अपने भीतर छुपी अंनत शक्तियों को जगाकर, उन्हें कार्यरूप में परिणत कर जीवन के परम लक्ष्य – चिर और अक्षय आनंद को प्राप्त होता है।

विश्व के इतिहास में 21 जून 2015 को एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ने जा रहा है। हमारे ऊर्जावान और योगी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर इस तिथि को संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व योग दिवस घोषित किया है। इस दिन विश्व के लगभग 200 देश में योग किया जायेगा। इससे योग का अधिकाधिक प्रसार होगा।

आज भौतिकता की अग्नि में दग्ध मानवता के सामने स्वस्थ, सुखी और आनंदित जीवन का एकमात्र उपाय योग ही है। मानव आज सब कुछ जानता जा रहा है, लेकिन स्वयं को भूलता जा रहा है। वह बाहरी भौतिक साधनों में सुख तलाश करते-करते थक गया है। इसमें सुख न मिलने से उपजी निराशा, हताशा और कुंठा उसे नशे के गर्त में डाल रही है। नशा भी उसे सुख नहीं दे पा रहा। इसी कारण, डिप्रेशन, स्ट्रेस, नर्वस ब्रेक डाउन सहित अनेक बीमारियाँ उसे जकड़ती चली जा रही हैं।

मनुष्य की स्थिति की शास्त्रों ने मृग की स्थिति से तुलना की है। वह अपने में छुपी कस्तूरी की सुगंध को वन में तलाशता हुआ जगह-जगह चोटिल होता फिरता है। एक ऐसे भिक्षुक की कथा है, जिसके घर के कोने में अथाह धन-सम्पदा छुपी होती है, लेकिन जानकारी के अभाव में वह भीख माँगता फिरता है। योग हमारे भीतर छुपी अनंत सम्पदाओं से हमें परिचित कराकर उनके उपयोग का मार्ग भी बताता है। योग से अंग-अंग सक्रिय होता है, रक्त संचार का प्रवाह संतुलित होता है और प्राण पर नियंत्रण रहता है। इससे आंतरिक रूपांतरण होता है।

आधुनिक युग में श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, श्री अरविन्द, स्वामी कुवलयानंद, टी. कृष्णमाचार्य, स्वामी विष्णुदेवानंद, शिवानंद सरस्वती, चिदानंद सरस्वती, सत्यानंद सरस्वती, स्वामीराम, बीकेएस आयंगर, पट्टाभि जोइस, महर्षि महेश योगी, श्यामाचरण लाहिड़ी, युक्तेश्वर गिरि, स्वामी योगानंद, स्वामी अखंडानंद, भगवान नित्यानंद, स्वामी मुक्तानंद, स्वामी विष्णुतीर्थ, बाबा रामदेव, श्रीश्री रविशंकर, गुरुदेव जग्गी वासुदेव जैसे योगियों ने भारत के योग विज्ञान को आगे बढ़ाया है। मानव के सम्पूर्ण अर्थात शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिये योग सर्वश्रेष्ठ साधन है।

सम्पूर्ण विश्व के साथ मध्यप्रदेश में भी योग दिवस पूरे उत्साह से मनाया जा रहा है। राज्य से लेकर पंचायत स्तर तक योग कार्यक्रमों के आयोजन की व्यवस्था की गई है। इन कार्यक्रमों में साहित्य, कला, लेखन, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, कानून, आईटी सहित सभी क्षेत्रों में कार्यरत प्रमुख लोगों को जोड़ने का प्रयास किया गया है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग योग की प्रेरणा ले सकें। मेरा सभी प्रदेशवासियों से आग्रह है कि वे योग दिवस पर होने वाले कार्यक्रमों में पूरे उत्साह से भाग लें और योग को जीवन का अंग बनायें।

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