भोपाल, मई 2015/ स्वच्छ भारत की परिकल्पना को साकार करने में समुदाय की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी। इस राष्ट्रव्यापी अभियान के सफल क्रियान्वयन की रणनीति तय करने के लिये स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) मध्यप्रदेश की राज्य-स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने किया।
श्री भार्गव ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिये बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता के साथ-साथ स्वच्छता और शिक्षा की दिशा में भी सघन प्रयास जरूरी है। प्रदेश में 24 फीसदी ग्रामीण आबादी ही शौचालय का उपयोग कर रही है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में भी 22 फीसदी लोग शौचालय का उपयोग नहीं करते हैं, जबकि बांग्लादेश जैसे छोटे देश की स्थिति भी हमसे बेहतर है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी देश-भक्ति ही है। श्री भार्गव ने प्रदेश को वर्ष 2018 तक खुले में शौच की बुराई से मुक्त बनाने के संकल्प को पूरा करने के लिये एकजुट प्रयास का आग्रह किया।
केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता सचिव विजय लक्ष्मी जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ने का आव्हान देशवासियों से किया और 2 अक्टूबर को सम्पूर्ण देश में यह अभियान शुरू हुआ। यदि एक भी व्यक्ति खुले में शौच करता है तो सभी का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने अभियान में जिला कलेक्टर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों और त्रि-स्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों से जागरूक भूमिका निभाने को कहा। अभियान में महिलाओं, बुजुर्गों, बच्चों तथा सेवानिवृत्त व्यक्तियों और पूर्व सैनिकों को जोड़ने का सुझाव दिया।
अपर मुख्य सचिव अरूणा शर्मा ने बताया कि मध्यप्रदेश में सभी गाँव पूरी तरह साफ-सुथरे हो इसीलिये पंच परमेश्वर योजना में सीमेंट-कांक्रीट की पक्की सड़कें और नालियाँ बनायी जा रही है। पिछले साल ग्रामीण अंचलों में 4 लाख से अधिक शौचालय बनाये गये हैं। स्वच्छता अभियान में समुदाय के साथ-साथ किन्नर भी मुस्तैदी से योगदान दे रहे हैं। प्रदेश में हाथ-धुलाई कार्यक्रम का विश्व कीर्तिमान रचा गया है। शौचालय की निर्माण राशि का भुगतान अब सीधे हितग्राहियों के बेंक खाते में शुरू किया गया है। श्रीमती शर्मा ने प्रतिभागियों से कहा कि वे इस राष्ट्रव्यापी अभियान में सक्रिय भूमिका निभायें।
अपर मुख्य सचिव स्कूल शिक्षा एस.आर. मोहन्ती ने जानकारी दी कि आगामी 30 जून 2015 तक प्रदेश के स्कूलों में करीब 50 हजार शौचालय का निर्माण हो जायेगा। स्कूल परिसर की साफ-सफाई, पेयजल, बिजली जैसी जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था भी सुनिश्चित होगी। स्कूली छात्राओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिये सेनेटरी नेपकिन के उपयोग और उसके सुरक्षित निपटान के बारे में भी जानकारी दी जा रही हैं।
कार्यशाला में बीकानेर राजस्थान की तत्कालीन कलेक्टर श्रीमती आरती डोंगरा ने ग्रामीण अंचलों में शौचालय निर्माण के लिये समुदाय को प्रेरित करने की सफल रणनीति पर प्रेजेन्टेशन दिया। बीकानेर देश का चौथा सबसे बड़ा जिला है और अब 80 फीसदी ग्रामीण आबादी शौचालय सुविधा का उपयोग कर रही है। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के नादिया जिले को पूरी तरह से खुले में शौच की बुराई से मुक्त करने और शत-प्रतिशत आबादी के लिये शौचालयों की व्यवस्था के बारे में एडीएम दीपांजन भट्टाचार्य ने बताया।
कार्यशाला में प्रदेश में स्वच्छता के लक्ष्यों को प्राप्त करने की स्थिति, चुनौतियों एवं रणनीति पर भी विमर्श हुआ। साथ ही समुदाय आधारित स्वच्छता तथा स्वच्छता से संबंधित देशव्यापी गतिविधियों, विशिष्ट प्रयासों और नवाचारों को आपस में साझा किया गया। अंतिम सत्र में यूनिसेफ, एम.पी. टास्ट और विश्व बेंक द्वारा स्वच्छता गतिविधियों और अभियान पर प्रस्तुतिकरण दिया गया। स्वच्छता की मुख्य चुनौतियों और उनके समाधान पर समूह चर्चा हुई और जिला स्वच्छता कार्य-योजना निर्माण की रणनीति तय की गई। सीईओ जिला पंचायत हरदा श्रीमती त्रिया षडमुगम् और सीईओ जिला पंचायत सीहोर डॉ. आर.आर. भोंसले ने अभियान के सफल अमल पर प्रस्तुतिकरण दिया। इस अवसर पर वाटर ऐड के चीफ एक्जीक्यूटिव्ह नीरज जैन और यूनिसेफ के प्रोग्राम मेनेजर मनीष माथुर भी उपस्थित थे। कार्यशाला को सागर की पूर्व महापौर तथा किन्नर प्रतिनिधि कमला बुआ ने भी संबोधित किया। राज्य कार्यक्रम अधिकारी हेमवती बर्मन ने आभार माना।