भोपाल, मई 2015/ राज्य शासन के प्राथमिकता एजेंडे में शामिल उद्यानिकी, फलोद्यान, सेरीकल्चर, हथकरघा में दस गुना बढ़ोत्तरी करने के कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। किसानों को हर-संभव सहायता, तकनीकी इनपुट और सतत मॉनीटरिंग के लिए ”फार्मर ट्रेकिंग सिस्टम” (एफ टी एस) विकसित किया जा रहा है। इस बहु-उद्देश्यीय कार्यक्रम को परिणाममूलक बनाने के लिए प्रमुख सचिव श्री प्रवीर कृष्ण, विभाग के सभी अधिकारी बीस हजार अमले के साथ फील्ड में जाकर हर चरण को क्रियान्वित करवायेंगे।

फ्लोरीकल्चर, हार्टिकल्चर, सेरीकल्चर, हथकरघा और हस्त-शिल्प के क्षेत्र में स्वर्णिम क्रांति के इस कार्यक्रम की लांचिंग 15 जून को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे।

प्रदेश के कलेक्टर्स, उद्यानिकी और हथकरघा विभाग के अधिकारियों को वीडियो कान्फ्रेंसिंग से प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण ने चरणबद्ध कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा बताई। कान्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एवं प्रबंध संचालक एम.पी. एग्रो एस.के. मिश्रा, आयुक्त उद्यानिकी महेन्द्र सिंह धाकड़ ने परियोजना के निर्माण की ब्यूह रचना के लिए आवश्यक निर्देश दिए तथा समयबद्ध क्रियान्वयन पर बल दिया।

फलोद्यान, साग-सब्जी और रेशम उत्पादन के लिए हर जिले से इन विभागों के जिले के अधिकारी स्थानीय परिवेश, मांग-आपूर्ति, मार्केटिंग, खाद्य प्र-संस्करण सुविधा की उपलब्धता को ध्यान में रखकर प्रोजेक्ट बनायेंगे। इन प्रोजेक्ट में हर जिले में 2000 किसान को अतिरिक्त रूप से जोड़ा जायेगा। हर किसान कम से कम एक एकड़ में उत्पादन करेगा। एक एकड़ में फलोद्यान, हार्टिकल्चर और सेरीकल्चर से अमूमन डेढ़ लाख की सालाना आय होगी।

सभी जिलों के विभागीय अधिकारी कलेक्टर की अनुशंसा के साथ 30 मई तक प्रोजेक्ट और 2000 किसान की सूची संचालनालय भेजेंगे। इन किसानों की समितियों का गठन होगा।

कार्यक्रम से जुड़े हर किसान की संपूर्ण जानकारी की डाटा एन्ट्री एक जून से शुरू कर डिजिटाइज कर किसान की उत्पादन से लेकर उपभोक्ता तक उत्पाद पहुँचाने की पूरी प्रकिया को ट्रेक किया जायेगा। जरूरत होने पर इनपुट देने और मॉनीटरिंग में एफ.टी.एस. कारगर रहेगा।

जिलों में मिनी और संभाग में मेगा फूड पार्क बनाये जायेंगे। राज्य के हथकरघा, हस्तशिल्प के सभी 30 हब में भी दस गुना वृद्धि की जायेगी।

प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण ने बताया कि कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए संसाधन, तकनीक और अन्य जरूरतों के लिए केन्द्र, राज्य सरकार, विश्व बेंक परियोजना, राष्ट्रीय आजीविका मिशन के साथ निजी क्षेत्र से राशि की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे।

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