भोपाल, मई 2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं का रोजगार शुरू करने की इच्छा रखने वाले युवाओं का आव्हान किया कि वे मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना का लाभ लेते हुए अपना काम शुरू करें। बेंक लोन वापस करने की गारंटी राज्य सरकार लेगी। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के युवाओं के शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान के लिये राज्य सरकार ने कई योजना शुरू की है। उन्होंने युवाओं का आव्हान किया कि वे रोजगार माँगने वाले नहीं रोजगार देने वाले बने और अपने काम-धंधे में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करें। श्री चौहान यहाँ अपने निवास पर मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना हितग्राही पंचायत को संबोधित कर रहे थे।
श्री चौहान ने युवा स्व-रोजगारियों को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि कड़ी मेहनत, धैर्य और उत्साह सफलता के तीन प्रमुख कारण है। युवा उद्यमियों और स्व-रोजगारियों की क्षमता और प्रतिभा की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में आगे बढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। राज्य सरकार हर पड़ाव पर सहयोग करेगी। उन्होंने कहा कि स्व-रोजगारियों की अभूतपूर्व सफलताएँ ही मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना का उद्देश्य है। स्व-रोजगारियों को ऋण देने में सहयोगी बने बेंकों को धन्यवाद देते हुए श्री चौहान ने कहा कि 31 हजार स्व-रोजगारियों द्वारा स्थापित रोजगारों की लागत 800 करोड़ से ज्यादा है। यह सिलसिला हितग्राहियों की संख्या बढ़ने के साथ आगे बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री ने युवाओं की शिक्षा के लिये सुविधाओं की चर्चा करते हुए कहा कि चाहे गाँव से शहरों में पढ़ने आना हो या शहरों से विदेश जाना हो सबके लिये अलग-अलग योजनाएँ हैं। स्कॉलरशिप को महँगाई के सूचकांक के साथ जोड़ा है। प्रायवेट मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेने पर फीस सरकार द्वारा भरे जाने का प्रावधान किया गया है। संभागीय स्तर पर कमरा लेकर पढ़ने के लिये 2000 रूपये और जिला स्तर पर 1250 रुपये मासिक किराया तय किया गया है जिसे सरकार वहन करेगी।
अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री श्री ज्ञान सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की योजनाओं ने युवाओं को नया रास्ता दिखाया है। अब पूरा परिदृश्य बदल रहा है। हितग्राही अब खुद मालिक बन रहे हैं। आदिवासी अंचलों से बड़ी संख्या में नए क्षेत्रों में रोज़गार मिल रहा है। उन्होंने जनजातीय बच्चों से योजनाओं का लाभ लेने का आग्रह किया।
प्रमुख सचिव श्री मोहम्मद सुलेमान ने योजना की विशेषताओं की जानकारी देते हुए बताया कि छह विभाग मिलकर इस योजना का संचालन अपने-अपने बजट से करते हैं। पिछले साल शुरू इस योजना में 31 हजार 600 हितग्राहियों को लाभ मिला है।
सफलताएँ
श्री जितेन्द्र सिंह उमरिया ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वोलेरो गाड़ी चलाकर 20 से 22 हजार की आमदनी हो रही है। सुश्री रोशनी (उमरिया) ने सिलाई केंद्र शुरू किया है जो अच्छे से चल रहा है। श्री तूफान सिंह (आगर) किओस्क चलाते हैं।
श्री रूपसिंह भरिया (झाबुआ) वोलेरो चलाते हैं। श्री ओमकार सिंह (रायसेन) सरकारी विभागों में वाहन चलाना चाहते हैं। श्री संजय (होशंगाबाद) ने ट्रेक्टर ट्राली खरीदी। अच्छा लाभ मिल रहा है। पहले दूसरे के यहाँ चालक का कम करते थे। श्री जितेन्द्र (भोपाल) अपना खुद का कम्प्यूटर सेंटर चलाते हैं। श्री अनिल मालवीय (भोपाल) टेंट हाउस चलाते हैं। पहले टेंट हाउस में काम करते थे। श्री रवि चौहान दोना-पत्तल बनाने का काम कर रहे हैं इसमें छह लोगों को काम दिया है। टीकमगढ़ के श्री राहुल सौरभ वोलेरो चलाते हैं।
श्री सुनील उइके (मंडला) ने आदिवासी अंचलों में जिम खोलने का सपना देखा था। मुख्यमंत्री ने सपना पूरा कर दिया। समाज में इज्जत दिलाई। अच्छे से परिवार चला लेते हैं। उमरिया की सुश्री मधु सिंह किराना स्टोर चलाती है। जनजातीय कलाकार श्री हीरामन उर्वेती ने मुख्यमंत्री को गोंड पेंटिंग भेंट की।
विधायक श्री ओम सखलेचा, मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा, अपर मुख्य सचिव ग्रामीण विकास श्रीमती अरुणा शर्मा़, प्रमुख सचिव आदिम-जाति कल्याण श्री बी.आर. नायडू, प्रमुख सचिव अनुसूचित जाति कल्याण श्री अशोक शाह, संचालक डीपीआईपी़ श्री एल.एम बेलवाल और बड़ी संख्या में दूरस्थ अंचलों से आये स्व-रोजगारी उपस्थित थे।
यह पंचायत आदिम-जाति कल्याण, अनुसूचित जाति कल्याण, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और अल्पसंख्यक कल्याण एवं पिछड़ा वर्ग विभाग के सहयोग से आयोजित की गयी थी।