भोपाल, मई 2015/ प्रदेश के अशासकीय विद्यालय अब छात्रों से मनमाने तरीके से फीस नहीं ले सकेंगे। अभिभावक शिक्षण सामग्री, गणवेश आदि भी खुले बाजार से खरीदने के लिये स्वतंत्र होंगे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर आज राज्य शासन ने अशासकीय विद्यालयों के शुल्क निर्धारण के मार्गदर्शी निर्देश जारी कर दिये हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज अपने निवास पर शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों की बैठक बुलाई और इस विषय पर विस्तृत विचार-विमर्श कर दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिये। मार्गदर्शी दिशा-निर्देश सभी विद्यालयों को उपलब्ध करवाये जा रहे हैं।
मार्गदर्शी दिशा-निर्देशों के अनुसार अशासकीय विद्यालय पाँच वर्ष से पहले यूनिफॉर्म में बदलाव नहीं कर सकेंगे। फीस, पुस्तकें, गणवेश आदि संबंधी समस्त जानकारियाँ विद्यालय द्वारा सूचना-पटल अथवा वेबसाइट पर भी उपलब्ध करवायी जायेंगी।
ये मार्गदर्शी निर्देश मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल, आईसीएससी बोर्ड एवं अन्य अधिमान्य बोर्ड से मान्यता प्राप्त 12वीं तक के सभी अशासकीय विद्यालयों एवं शिक्षण संस्थाओं में प्रभावी होंगे।
विद्यालय में निरंतर अध्ययन करते रहने वाले विद्यार्थियों से अगली किसी कक्षा में प्रवेश पाने पर पुन: प्रवेश शुल्क नहीं लिया जायेगा। प्रवेश शुल्क की राशि एक वर्ष के शिक्षण शुल्क की राशि से अधिक नहीं होगी। यदि संस्था द्वारा शाला विकास शुल्क के नाम से राशि ली जाती है तो ऐसे शुल्क की राशि एक माह के शिक्षण शुल्क की राशि से अधिक नहीं होगी।
मार्गदर्शी निर्देशों के अनुसार केपीटेशन फीस, दान या उपहार के नाम पर कोई राशि नहीं ली जायेगी। संस्था को प्रत्येक वर्ष अपने लेखों का अंकेक्षण करवाना अनिवार्य होगा। इन लेखों को सार्वजनिक रूप से सूचना-पटल पर या वेबसाइट पर प्रकाशित करना भी अनिवार्य होगा।
शुल्क का निर्धारण इस प्रकार से होना चाहिये कि वार्षिक लेखों की राशि वर्ष भर की प्राप्तियों का 10 प्रतिशत से अधिक न हो। संस्था को शैक्षणिक सत्र शुरू होने के एक महीने पहले शुल्क की विस्तृत और भुगतान के तरीके की जानकारी देना अनिवार्य होगा।
यदि अगले वर्ष शिक्षण शुल्क में वृद्धि करना जरूरी है तो वृद्धि की सीमा 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। यदि संस्था इससे ज्यादा वृद्धि करना चाहती है तो उसे संभाग स्तरीय शुल्क निर्धारण समिति के सामने अपना तर्क रखना होगा।
मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार शैक्षणिक सत्र शुरू होने के एक महीने के अंदर अभिभावक शिक्षक संघ का गठन जरूरी होगा। विद्यालयों में प्रवेश के लिये आवेदन नि:शुल्क उपलब्ध होगा या इसका शुल्क 10 रुपये से ज्यादा नहीं होगा। हर विद्यालय को स्टाफ का वेतन, लेखों की जानकारी, सभी प्रकार के शुल्क, भुगतान की प्रक्रिया और समय सीमा, किस्तों का विवरण, यूनिफार्म, किताबों एवं शैक्षणिक सामग्री, शैक्षणिक केलेण्डर आदि की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध करवाना अनिवार्य होगा। प्रायवेट स्कूल, एनसीईआरटी, मध्यप्रदेश पाठय पुस्तक निगम या निजी प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों में से शिक्षण के लिये पुस्तकों का चयन कर सकेंगे। शिक्षण सत्र प्रारंभ होने के एक माह पहले पुस्तकों की सूची, लेखक एवं प्रकाशक के नाम, तथा मूल्य के साथ सूचना पटल / वेबसाइट पर उपलब्ध करवाना भी जरूरी होगा।
अभिभावक शिक्षण सामग्री, ड्रेस, टाई, जूते आदि खुले बाजार से खरीदने के लिये स्वतंत्र होंगे। शुल्क निर्धारण या वृद्धि के संबंध में छात्र अथवा उसके अभिभावक द्वारा ही आपत्ति ली जा सकेगी। जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति के सामने वे आपत्ति ले सकते हैं। समिति एक माह में इसका निराकरण करेगी। दूसरी अपील संबंधित राजस्व संभाग के आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति के समक्ष की जा सकेगी। इसका निराकरण 45 दिन में होगा। संभागीय स्तर समिति के निर्णय से असंतुष्ट होने पर राज्य शासन के समक्ष अपील की जा सकेगी।