भोपाल, अप्रैल 2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी को पत्र लिखकर व्यापमं मामले में प्रमाणों की कूट-रचना करने वाले प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं के विरुद्ध कार्यवाही की अपेक्षा की है। उन्होंने व्यापमं मामले का विवरण देने के लिये श्रीमती सोनिया गाँधी से व्यक्तिश: मुलाकात के लिये समय देने का भी आग्रह किया है।
पत्र में श्री चौहान ने कहा कि मुझे विश्वास है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी द्वारा मेरी सरकार और व्यक्तिगत रूप से मेरे विरुद्ध व्यापम मुद्दे को लेकर जो मुहिम चलायी जा रही है, उससे आप अवगत होंगी। इस नकारात्मक अभियान का विधानसभा, लोकसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव में प्रदेश के लोगों पर कोई असर नहीं हुआ, लिहाजा पार्टी ने मेरे और मेरे परिवार के विरुद्ध पूरी तरह निराधार आरोप लगाना शुरू कर दिया।
श्री चौहान ने कहा कि फरवरी, 2015 में सबसे ताजा अभियान का नेतृत्व मध्यप्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद श्री दिग्विजय सिंह, श्री कमलनाथ और श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने वकीलों की कानूनी मदद से किया। उन्होंने 16 फरवरी को प्रेस कान्फ्रेंस कर व्यापम में हुई अनियमितताओं से संबंधित आपराधिक प्रकरण में पुलिस द्वारा जब्त की गई हार्ड डिस्क के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया। उनका आरोप था कि छेड़छाड़ इसलिये की गई ताकि मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई आपराधिक मामला न बन सके। उन्होंने तथाकथित मूल दस्तावेज प्रस्तुत किये, जिसमें उनके अनुसार 46 जगह पर ‘सी.एम.” की प्रविष्टि थी। इन आरोपों के समर्थन में उन्होंने एक पेनड्राइव, ट्रुथ लेब नामक एक प्रायवेट फोरेंसिक सेंटर की रिपोर्ट तथा कुछ दस्तावेज हाई कोर्ट में प्रस्तुत किये। ऐसा लगता है कि ये आरोप श्री प्रशांत पाण्डे नामक व्यक्ति द्वारा उपलब्ध करवाई गई सामग्री के आधार पर लगाये गये।
मुख्यमंत्री ने पत्र में आगे कहा कि मैंने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के आदेश से गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) से लिखित में उपरोक्त शिकायत की जाँच करने का अनुरोध किया। व्यापम द्वारा ली गई परीक्षाओं में अनियमितताओं से संबंधित आपराधिक प्रकरणों की जाँच स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) द्वारा की जा रही है, जो एसआईटी के सुपरविजन में काम करती है और माननीय उच्च न्यायालय द्वारा इस पूरी प्रक्रिया की सीधी निगरानी की जाती है।
एसआईटी ने आरोपों की जाँच पूरी कर अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत में प्रस्तुत की। हाई कोर्ट ने 24 अप्रैल को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि :
1. एसआईटी द्वारा उल्लेखित 7 कारणों के आधार पर, प्रस्तुत प्रमाण प्रथम दृष्टया कूट-रचित हैं।
2. उपरोक्त कूट-रचित प्रमाण जाँच को गुमराह करने के लिये प्रस्तुत किये गये।
3. एसआईटी एसटीएफ को इस तरह के निर्देश देने के लिये स्वतंत्र है कि वह जो कार्यवाही आवश्यक समझे, वह कर सकती है।
मुख्यमंत्री ने दुख जताया कि कांग्रेस के इन वरिष्ठ नेताओं ने श्री पाण्डे के साथ मिली-भगत कर प्रमाण की कूट-रचना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के षड़यंत्र अल्पजीवी होते हैं और अंतत: विपरीत परिणाम देते हैं। इससे शासन व्यवस्था को होने वाले नुकसान को समझना आपके लिये कठिन नहीं है।
श्री चौहान ने कहा कि जहाँ किसी आपराधिक मामले में मेरे शामिल होने की धारणा पैदा करने के लिये लगातार मुहिम चलाने का उद्देश्य समझना आसान है, वहीं यह बात तब गंभीर हो जाती है, जब इसका उद्देश्य जाँच को गुमराह करना हो। मेरे पास यह मानने के कारण हैं कि इस मुहिम का उद्देश्य अभियुक्तों के हितों का संरक्षण करना रहा है। ऐसा लगता है कि वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं, वकीलों और उनके अभियुक्त मित्रों/मुवक्किलों के नापाक गठबंधन से यह झूठी और बदनाम करने वाली तथा कपटपूर्ण और आधारहीन मुहिम चलायी गयी।
उपरोक्त तथ्यों के संदर्भ में मैं यह जानना चाहता हूँ कि कांग्रेस पार्टी के इन नेताओं ने क्या मेरे विरुद्ध प्रमाणों की कूट-रचना करने के पहले आपकी अनुमति ली थी और क्या आपने यह अनुमति दी थी। यदि ऐसा नहीं है, तो क्या इन नेताओं पर आपराधिक आचरण के लिये कार्यवाही की जायेगी, जिससे पार्टी को ऐसी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है?
आपको इस प्रकरण का विवरण जानना आवश्यक है, ताकि आप इसकी गंभीरता को समझ सकें। अत: मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से मिलकर आपको यह विवरण बताना चाहूँगा। आप इस मुलाकात के लिये कब समय दे सकेंगी, कृपया यह मुझे बताने का कष्ट करें।