भोपाल, अप्रैल 2015/ त्रि-स्तरीय पंचायतों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास में उनकी भूमिका को मजबूत बनाने के मकसद से राज्य शासन द्वारा पंचायतों की कार्यवाहियों में संरपच पति के शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, मध्यप्रदेश द्वारा इस बारे में निर्देश जारी किये गये है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 अप्रैल 2015 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय पंचायत दिवस समारोह में पंचायत व्यवस्था से संरपच पति संस्कृति को समाप्त करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि सभी निर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधियों को काम करने के पूरे अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है ताकि वे पूरे आत्म-विश्वास के साथ गाँव के विकास में भागीदारी कर सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि पंचायत राज व्यवस्था में चुनी गई महिला प्रतिनिधियों द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है अतः उनके सशक्तिकरण के प्रयासों को और बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव की अध्यक्षता में मंत्रालय में संपन्न बैठक में प्रधानमंत्री की इन्हीं भावनाओं के अनुरूप पंचायतों की बैठकों और कार्यवाहियों में संरपच पति के अनावश्यक दखल को खत्म करने के बारे में फैसला लिया गया। पंचायतों की कार्यवाहियों में संरपच पति तथा महिला प्रतिनिधियों के परिजनों के शामिल होने पर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी। इस बारे में जिला प्रशासन तथा जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों को समुचित दिशा निर्देश भेजते हुए उनका पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है। बैठक में केन्द्रीय पंचायत सचिव विजय आनंद और अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास अरूणा शर्मा सहित वरिष्ठ विभागीय अधिकारी मौजूद थे।
मंत्री ने बैठक में निर्देश दिये कि ग्राम सभाओं और ग्राम पंचायतों की बैठकों की वीडियोग्राफी की जाये। इन बैठकों की कार्यवाही पर राज्य शासन द्वारा निगरानी रखी जायेगी। आयुक्त पंचायत राज तथा वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जाँच में यह पाया जाता है कि पंचायतों में आरक्षित पदों पर निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के एवज में ग्राम पंचायत और ग्राम सभा की बैठकों का संचालन किसी पुरूष द्वारा किया गया है, तो समुचित सुनवाई का अवसर देते हुए संबंधित महिला सरपंच को पद से हटाने की विधिवत कार्यवाही की जाये।
बैठक में अपर मुख्य सचिव श्रीमती शर्मा ने बताया कि अब महिला पंचों को अपने पंचायत क्षेत्र के गाँव के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने, विद्यार्थियों की उपस्थिति और उन्हें शाला आने के लिये प्रेरित करने, समय-समय पर विद्यार्थियों के स्वास्थ्य की जाँच और टीकाकरण स्कूलो में स्वच्छता तथा शौचालयों की साफ-सफाई और मध्यान्ह भोजन व्यवस्था की देख-रेख जैसी अहम जिम्मेदारियॉ सौंपी गई है। महिला पंचायत प्रतिनिधियों को पंचायत राज व्यवस्था के संचालन संबधी जानकारियॉ देने और कम्प्यूटर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये सघन प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किये गये हैं।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत राज व्यवस्था को सशक्त बनाने और पंचायतों में महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व के उद्देश्य से जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिये 50 फीसदी पद आरक्षित किये गये हैं। ग्रामीण अंचलों के चौतरफा विकास में ये महिलाएँ महती भूमिका निभा रही है। हाल ही में संपन्न हुए पंचायत निर्वाचन में चुनी गई महिला प्रतिनिधियों को उनके अधिकारों और पंचायतों के कामकाज को संचालित करने के बारे में मार्गदर्शन देने के लिये सरल और आसान भाषा में तैयार प्रशिक्षण और मार्गदर्शिका पुस्तिकाएँ भी प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में भेजी जा चुकी है।