भोपाल, अप्रैल 2015/ केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मुख्यमंत्री निवास पर उच्च-स्तरीय बैठक में राज्य के महत्वपूर्ण वित्तीय मुद्दों पर सहमति व्यक्त करते हुए शीघ्र समाधान करने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने जेटली को विस्तार से राज्य के वित्तीय प्रबंधन से संबंधित मुद्दों की जानकारी दी। श्री चौहान ने केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने और राज्यों को इसका अपनी आवश्यकता के अनुरूप उपयोग करने की सुविधा देने के लिये केन्द्र सरकार और वित्त मंत्री का आभार व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री ने बताया कि ग्यारहवीं योजना में प्रदेश की आर्थिक वृद्धि दर 9.94 प्रतिशत रही है। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2014-15 में 10 दशमलव 9 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल हुई है। कृषि विकास दर 24.99 प्रतिशत रही है। उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री को बताया कि मध्यप्रदेश वर्ष 2004-05 से लगातार राजस्व की अधिकता वाला राज्य है और पिछले 9 साल से राजकोषीय वित्तीय घाटे के प्रबंधन में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है।

श्री चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना में 113 लाख से ज्यादा खाते खोलकर मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है। इस योजना के दूसरे चरण की शुरूआत भी कर दी गयी है।

श्री चौहान ने 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं की चर्चा करते हुए श्री जेटली को राज्‍य की ओर से धन्यवाद दिया। कहा कि केंद्रीय करों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने से विकास कार्यों में गति आयेगी। बैठक में त्वरित उदवहन सिंचाई कार्यक्रम, विशेष पिछड़ा क्षेत्र अनुदान योजना, मध्यान्ह भोजन, सर्व शिक्षा अभियान, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में मिलने वाले अनुदानों पर भी चर्चा हुई।

श्री जेटली ने वर्ष 2010-11 से लेकर 2013-14 तक की अवधि में केंद्रीय बिक्री कर में राज्य की हिस्सेदारी के दावे की 512 करोड़ रूपये की राशि दो किश्त में उपलब्ध करवाने पर सहमति दी। मुख्यमंत्री ने 14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के संदर्भ में कहा कि विशेष परिस्थितियों में राज्यों की राजकोषीय वित्तीय घाटे की सीमा को तीन प्रतिशत से ऊपर बढ़ाया जा सकता है। इससे राज्य को वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी। इस पर श्री जेटली ने सहमति व्यक्त करते हुए विचार करने का आश्वासन दिया।

मुख्यमंत्री ने यह भी आग्रह किया कि केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा राज्य को मिलने वाला बजट वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में मिलने से पूर्व संचालित योजनाओं को आगे बढ़ाने में सहूलियत होगी। उन्होंने नाबार्ड से अधोसंरचना विकास सहायता के लिये मिलने वाली राशि पर लगने वाली ब्याज दर पर भी पुनर्विचार करने का आग्रह किया। जन-धन योजना के संबंध में श्री चौहान ने केन्द्रीय वित्त मंत्री का ध्यान आकृष्ट किया कि ग्रामीण क्षेत्र में बीमा नियामक विकास प्राधिकरण और भारतीय रिजर्व बेंक द्वारा अलग-अलग परिभाषाएँ उपयोग में लायी जा रही हैं। इससे मैदानी स्तर पर सूक्ष्म बीमा करने में परेशानी हो रही है। इस संबंध में बिजनेस करेस्पोंडेंट एजेन्ट्स के लिये भारतीय रिजर्ब बेंक द्वारा तय की गयी परिभाषा का उपयोग उचित होगा ताकि एकरूपता बनी रहे। मुख्यमंत्री ने क्षेत्रीय ग्रामीण बेंकों को सूक्ष्म उद्यमिता के लिये क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड के सदस्य के रूप में शामिल करने का भी आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने इस बिंदु की ओर भी केंद्रीय मंत्री का ध्यान दिलाया कि राज्य में सार्वजनिक निजी परियोजनाओं के लिये वायएबिलिटी गेप फंडिंग नीति में सुधार करते हुए नवाचारी वित्तीय व्यवस्था लागू की जानी चाहिये। इससे ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन, अधोसंरचना विकास, मेट्रो रेल, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा और सिंचाई जैसी परियोजनाओं को पूरा किया जा सकेगा।

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