भोपाल, मार्च 2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के नव निर्वाचित महापौरों का आव्हान किया है कि वे शहरों का संपूर्ण विकास करने का संकल्प लें। राज्य सरकार की ओर से शहरों के पुनर्निर्माण में हरसंभव सहयोग दिया जायेगा। नगरीय निकायों को जितना वित्तीय सहयोग राज्य सरकार ने दिया है वह पूरे देश में मिसाल है। महापौर राज्य सरकार की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन करने और प्रदाय की गई धनराशि के बेहतर उपयोग के लिये अलग से संस्थागत व्यवस्था बनाने की पहल करें। सुशासन सबसे पहली प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री पर्यावरण परिसर में नव निर्वाचित महापौर सम्मलेन को संबोधित कर रहे थे।
शहरों को विकास का आईना बताते हुए श्री चौहान ने कहा की सफाई के लिए संस्थागत व्यवस्थाएँ की जाना चाहिये। राज्य सरकर की ओर से पूरा वित्तीय सहयोग मिलेगा, लेकिन स्थानीय निकायों को अपने वित्तीय संसाधनों को भी मजबूत करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विभागों को निर्देश दिए जायेंगे कि वे शहरी विकास से जुड़े विषयों पर महापौरों से भी परामर्श करें। लोगों के विश्वास से अब इतिहास बनाने का समय आया है। उन्होंने सिंगापुर के विकास का उदाहरण देते हुए कहा कि विकास की दृढ़ इच्छा रखने और कड़ी मेहनत से कुछ भी असंभव नहीं है। यदि महापौरगण चमत्कार करने की ठान लें तो शहरों की तस्वीर ही बदल जायेगी।
श्री चौहान ने मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास फण्ड, मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता मिशन, मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना, अटल आश्रय योजना जैसी नवाचारी और शहरों की तकदीर बदलने वाली योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि नगरीय विकास के लिये पैसों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने आग्रह किया कि वे नगरीय विकास के लिये राज्य शासन से प्राप्त धनराशि का समय पर पूरी पारदर्शिता के साथ उपयोग करें। उन्होंने सागर नगर निगम का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि पार्षद मिलकर तय कर लें तो नगरीय प्रशासन में सुशासन के नये मानदण्ड स्थापित किये जा सकते हैं, जो पूरे देश के लिये अनूठे होंगे।
मुख्यमंत्री ने शहरी गरीबों की आवास सुविधाओं पर चर्चा करते हुए आग्रह किया कि वे आवासीय सुविधाओं के लिये ऐसी योजना बनायें कि अवैध कॉलोनियों के निर्माण की आवश्यकता ही न पड़े। उन्होंने कहा कि पक्के आवास बनाकर देने से ही झुग्गियों से मुक्ति हो सकती है। जब तक यह व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक दशकों से एक जगह रह रहे झुग्गीवासियों को हटाना मानवीय दृष्टि से उचित नहीं है। महापौर होने के नाते यह पहला कर्त्तव्य है कि शहर के गरीब लोगों के खुशहाल जीवन के लिये अधिकतम प्रयास करें। इसके लिये राज्य सरकार की सभी गरीबी उन्मूलन योजनाओं को प्रभावी तरीके से क्रियान्वित करना जरूरी है। उन्होंने महापौरों से आग्रह किया कि बिल्डिंग परमिशन देने जैसी सेवाओं में भ्रष्टाचार दूर करने के लिये ई-गवर्नेंस के तौर-तरीकों का अधिकाधिक उपयोग करें।
नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि शहरों का सुनियोजित विकास, आय के संसाधनों को बढ़ाना और नगर के प्रथम नागरिक के रूप में शहर की बेहतरी के लिये राज्य और केन्द्र शासन के सभी संबंधित विभागों से परस्पर ताल-मेल रखना पहली जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में शहरों की अधोसंरचना विकास के लिये राज्य शासन से संस्थागत व्यवस्था के रूप में जितनी धनराशि मिली है वह देश के सामने उदाहरण है।
प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एस.एन. मिश्रा ने महापौरों को राज्य सरकार के नगरीय विकास की सोच और दृष्टि की जानकारी दी। नगरीय निकायों में वित्तीय प्रबंधन और राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओ में नगरीय निकायों की भूमिका पर भी चर्चा हुई। जल प्रदाय, लोक परिवहन, कौशल विकास, स्वच्छता, आवास, अधोसंरचना विकास, ई-नगर पालिका आदि पर चर्चा हुई।
इस अवसर पर श्री चौहान ने ‘भारत में नगरीय विकास मध्यप्रदेश के विशेष सन्दर्भ में’ पुस्तक का विमोचन किया। आयुक्त नगरीय प्रशासन संजय शुक्ला, भोपाल के महापौर आलोक शर्मा सहित प्रदेश के नगर निगमों के नवनिर्वाचित महापौर और मुख्यमंत्री के सचिव विवेक अग्रवाल भी उपस्थित थे।