भोपाल, फरवरी 2015/ ऊर्जा एवं जनसम्पर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि प्रधानमंत्री की सोच के अनुसार शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने और सुनियोजित रूप से विकसित करने तेजी से काम किये जाने की जरूरत है। आने वाले समय में जलवायु में हो रहे परिवर्तन का असर शहरों पर पड़ेगा। उन्होंने शहरों के विकास के लिए जन-भागीदारी बढ़ाने पर भी जोर दिया। श्री शुक्ल यहाँ जलवायु परिवर्तन से निपटने में सक्षम एवं व्यवस्थित शहर विषयक कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर महापौर भोपाल आलोक शर्मा भी मौजूद थे।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि रोजगार के उद्देश्य से शहरों पर आबादी का दबाव बढ़ रहा है। आबादी के अनुरूप शहर का विकास करना महत्वपूर्ण चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए संसाधनों को जुटाना और उनके उचित क्रियान्वयन के लिए बेहतर योजना की जरूरत है। रीवा शहर में कचरे के प्रबंधन में लोगों की उत्साहजनक भागीदारी है। शहर में 5000 डस्टबिन रखने का कार्य हाथ में लिया गया है। स्मार्ट सिटी बनाने के लिए स्थानीय निकायों को अपनी आय के स्त्रोत बढ़ाने होंगे। स्मार्ट सिटी में सभी नागरिकों को विशेषकर निर्धन वर्ग के लोगों को सस्ते आवास, बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बिजली-पानी, स्वच्छ पर्यावरण की सुविधा उपलब्ध करवाये जाने की अवधारणा है। स्थानीय निकाय शहरों में पानी के स्त्रोतों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दें।

महापौर आलोक शर्मा ने कहा कि राजधानी भोपाल को देश के श्रेष्ठ शहरों की तरह विकसित किया जायेगा। मोहल्ला सुधार समिति का पुनर्गठन किये जाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। स्वयंसेवी संगठनों एवं जागरूक नागरिकों की राय के अनुरूप शहर के विकास की योजना तैयार की जायेगी।

प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास एस.एन.मिश्रा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव शहरी आबादी पर तेजी से पड़ रहा है। शहर में पेयजल की कमी एवं जल स्त्रोतों के प्रदूषित होने की समस्या बढ़ी है। शहर के सुनियोजित विकास के लिए सरकार की विभिन्न एजेंसियों को समन्वय से कार्य करना होगा। प्रदेश में जलवायु परिवर्तन से पड़ने वाले प्रभाव के अध्ययन के लिए स्टेट नॉलेज सेन्टर बनाया गया है। तरू (TARU) के चेयरमेन जी.के. भट्ट ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से शहर के तापमान में बढ़ोत्तरी हो रही है। आज सबसे बड़ी जरूरत शहर में आबादी की माँग के अनुसार आवास, बिजली-पानी की सुविधा, कचरे का व्यवस्थित निपटान करने की है। राष्ट्रीय अभिशासन एवं नगर प्रबंध संस्थान निदेशक डॉ.एच.एम. मिश्र ने कार्यशाला की जानकारी दी।

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