भोपाल, फरवरी 2015/ मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा ने मंत्रालय में स्वाइन फ्लू नियंत्रण समन्वय समिति की बैठक में रोग की स्थिति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने सरकारी विभाग और निजी अस्पताल की ओर से रोगियों के उपचार की विस्तार से जानकारी प्राप्त की। बैठक में बताया गया कि रोगी और परिवार के स्तर पर अस्पताल पहुँचने में विलम्ब रोग की पीड़ा बढ़ाने वाला सिद्ध हुआ है।
समन्वय समिति ने नागरिकों से आग्रह किया है कि मामूली सर्दी, जुकाम और खाँसी होने पर भी सजग रहें। साँस की तकलीफ हो तो चिकित्सकीय परामर्श लें और जरूरत हो तो जाँच भी करवायें। संदिग्ध रोगी को भी टेमीफ्लू देने के निर्देश दिये गये। प्रदेश के सभी जिलों में पर्याप्त दवाएँ मुहैया करवाई गई हैं। स्वाइन फ्लू उपचार में संलग्न चिकित्सक और स्टॉफ को सुरक्षा के लिये जरूरी वेक्सीन का डोज दिया जाये। आवश्यक मास्क और पीपीई का उपयोग हो। कल इस संबंध में वीडियो कान्फ्रेंस द्वारा भी समस्त कलेक्टर्स और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को बताया जा चुका है। रेग्युलर ट्रीटमेंट करने वाले अमले को स्वयं व्यक्तिगत स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान देना है।
प्रदेश में स्वाइन फ्लू रोग नियंत्रण के प्रभाव युद्ध स्तर पर किये जा रहे हैं। स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने और नागरिकों की तकलीफ कम करने से जुटे हैं। महिला-बाल विकास विभाग की आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता, आशा कार्यकर्त्ता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जनता को रोग के प्रति जागरूक बनाने की कोशिशों को अंजाम दे रही हैं। मुख्य सचिव ने जिला स्तर पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, प्राइवेट प्रेक्टिसनर्स एसोसिएशन और स्वैच्छिक संगठन को शासन के प्रयासों में सहभागी बनाने के निर्देश दिये हैं। प्रचार-प्रसार में सर्वाधिक जोर रोगी के समय से अस्पताल पहुँचने पर दिया जा रहा है।
समन्वय समिति ने रोग के वायरस से सावधान रहने पर सहमति जताई और जनता से अपील की कि भीड़-भाड़ के इलाकों में जाने से बचें। सर्दी-जुकाम, खाँसी कम होने पर भी सजग रहें। स्वच्छता का भी ध्यान रखें। प्रारंभिक लक्षण दिखाई दें तब भी पास के सरकारी अस्पताल या शासन की ओर से चिन्हित किये गये अस्पताल जाकर जाँच और उपचार के लिये चिकित्सक से मिलें।
प्रदेश के जिलों में स्थानीय अमले को सक्रिय बनाया गया है। उपचार कार्यों का जायजा लेने राजधानी से समस्त 51 जिले के वरिष्ठ अधिकारी बुधवार 18 फरवरी से भ्रमण के लिये रवाना होंगे। प्रदेश में एक जनवरी से 16 फरवरी तक 961 रोगी की स्क्रीनिंग में 352 पॉजिटिव मिले हैं। कुल 356 रोगी के सेम्पल निगेटिव पाये गये। इस अवधि में 126 रोगी उपचार के बाद स्वस्थ हो गये। प्रदेश में 81 रोगी को गहन उपचार मिला, लेकिन असमय मृत्यु हो गई।