भोपाल, फरवरी 2015/ राज्य शासन ने शासकीय शाला में अध्यापन कार्य में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया है। सभी जिला शिक्षाधिकारी और अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक को दिये गये निर्देश में शैक्षणिक गुणवत्ता के उन्नयन के लिये शाला में उपलब्ध कम्प्यूटर का उपयोग किये जाने को कहा गया है।

निर्देश में कहा गया कि ऐसे विद्यालय, जहाँ कम्प्यूटर उपलब्ध है, किन्तु खराब हैं अथवा इंटरनेट की सुविधा नहीं है, वहाँ विभिन्न मद में उपलब्ध राशि से सबसे पहले कम्प्यूटर को सुधारा जाये बाद में इंटरनेट की व्यवस्था करवाई जाये। इसके लिये शाला-स्तर पर गतिविधि एवं विज्ञान मद, शाला अनुदान राशि उपलब्ध करवाई जाती है। विद्यालयों में शाला विकास निधि के रूप में विद्यार्थियों से लिये जाने वाले शुल्क राशि का उपयोग आधुनिक तकनीक के उपयोग पर किया जाना चाहिये।

ऐसे विद्यालय, जहाँ एक भी कम्प्यूटर उपलब्ध नहीं है किन्तु शाला में बिजली की उपयुक्त व्यवस्था तथा पर्याप्त राशि उपलब्ध है, वहाँ एक कम्प्यूटर एवं एलसीडी खरीदने की कार्यवाही की जा सकती है। कम्प्यूटर एवं एलसीडी का उपयोग शाला में पठन-पाठन के लिये किया जाना चाहिये। वह सिर्फ कार्यालयीन उपयोग तक सीमित न रहे, यह सुनिश्चित करने का दायित्व प्राचार्य का होगा। कम्प्यूटर का उपयोग प्राथमिकता के आधार पर विद्यार्थियों के लिये किया जाना अनिवार्य होगा।

अधिकारियों के भ्रमण के दौरान किसी भी स्कूल में यह पाया जाता है कि कम्प्यूटर एवं इंटरनेट का उपयोग सिर्फ कार्यालयीन कार्य के लिये किया जा रहा है तो संबंधित प्राचार्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। उल्लेखनीय है कि अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक एवं उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्यों की राज्य-स्तरीय मासिक बैठक में यह जानकारी मिली कि प्रदेश के अनेक विद्यालय में कम्प्यूटर तो उपलब्ध हैं परंतु उनके खराब रहने के कारण उपयोग नहीं हो पा रहा है। दिन-प्रतिदिन पठन-पाठन की जो आधुनिक तकनीकें सामने आ रही हैं, उनकी जानकारी कम्प्यूटर एवं इंटरनेट पर उपलब्ध है किन्तु शाला में सुविधा न होने से आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। इसके लिये आवश्यक समझा गया कि शासकीय विद्यालय के शिक्षक एवं छात्र आधुनिक तकनीकों से परिचित हों, ताकि विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

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