भोपाल, फरवरी 2015/ व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ का गठन विद्यार्थियों को प्राचीन संस्कारों और विचारों से अवगत करवाने के उद्देश्य से किया गया है, जिससे विद्यार्थी लायक और गैर-लायक के बीच का अंतर समझ सकें। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने यह बात चैतन्य प्रवाह श्रंखला के द्वितीय आयोजन में कही। इसका विषय था- ‘लायक हों सो कीजिये, ब्याह, बैर और प्रीति”।
श्री गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थियों को लायक बनाने के उद्देश्य से ही उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इस तरह के आयोजन किये जा रहे हैं। ऐसे विमर्श से हम सब लाभान्वित होते हैं।
श्री रमेशचन्द्र अग्रवाल ने कहा कि चैतन्य प्रवाह का विषय जीवन जीने का विषय है। श्री रमेश शर्मा ने विषय पर प्रेरणादायक विचार व्यक्त किया। उन्होंने विभिन्न उदाहरण के जरिये बताया कि हमेशा विवाह, शत्रुता और मित्रता बराबर वालों में ही करना चाहिये। ऐसा करने पर ही जीवन सहज रहता है। विमर्श को सचिव, शिक्षा-संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के अतुल कोठारी ने भी सम्बोधित किया।
श्री कैलाशचन्द्र पंत ने श्रंखला की जानकारी दी। अकादमी के संचालक एस.बी. गोस्वामी ने कहा कि विमर्श श्रंखला लगातार जारी रहेगी।