भोपाल, फरवरी 2015/ सहकारिता विषय पर मध्यप्रदेश में बने देश के पहले मोबाइल एप ‘COOP ICM BHOPAL” को यहाँ लांच किया गया। सहकारिता शिक्षण-प्रशिक्षण के डिजिटलाइजेशन के जरिये देश-प्रदेश में इस विषय में हो रहे कार्यों और गतिविधियों को विश्व-स्तर पर ले जाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण पहल है। आयुक्त सहकारिता मध्यप्रदेश श्री मनीष श्रीवास्तव और राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. दिनेश ने सहकारी प्रबंध संस्थान भोपाल द्वारा बनाये गये इस एप को लांच किया और राष्ट्रीय-स्तर पर सबसे पहले किये गये इस अनूठे प्रयास को सराहा। इस मौके पर संस्थान की प्रबंध समिति के अध्यक्ष अरुण सिंह तोमर भी उपस्थित थे।
श्री मनीष श्रीवास्तव ने संस्थान द्वारा सीमित साधनों और प्रयासों से किये गये इस महत्वपूर्ण कार्य को सराहा। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मध्यप्रदेश द्वारा अग्रणी प्रयास किये जा रहे हैं। गत वर्ष सहकारिता विभाग मध्यप्रदेश की वेबसाइट ई-कोऑपरेटिव को विशाखापट्टनम में प्रतिष्ठित निहिलेंट अवार्ड से नवाजा जा चुका है। प्रदेश में सहकारिता क्षेत्र में हो रहे नवाचारों को प्रदेश और राष्ट्रीय-स्तर पर पहचान मिली है।
डॉ. दिनेश ने इस अवसर पर कहा कि देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में सहकारिता का महत्वपूर्ण योगदान है। देश में करोड़ों लोग सहकारिता से जुड़े हुए हैं। सम्पूर्ण देश में 6 लाख से अधिक सहकारी समितियाँ हैं। शहरी क्षेत्र में 22 प्रतिशत तथा ग्रामीण क्षेत्र में 97 प्रतिशत आबादी सहकारिता की विभिन्न गतिविधियों से जुड़ी हुई हैं।
संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. अस्थाना ने मोबाइल एप की कार्य-प्रणाली पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह एप गूगल प्ले पर उपलब्ध है और एन्ड्रायड आधारित किसी भी स्मार्ट-फोन और टेबलेट पर इसे डाउनलोड कर उपयोग किया जा सकता है। इसे HTML 5, ECLIPS LUNA, API 2.2 की तकनीकी सहायता से तैयार किया गया है। इसकी कुल साइज 2.9 MB है। डॉ. अस्थाना ने कहा कि इस एप से विशेषकर युवा वर्ग को सहकारिता विषय पर समुचित जानकारियाँ आसानी से मिलेंगी। सहकारिता विषय में लोगों की रुचि बढ़ाने में मदद मिलेगी और लोगों को सहकारिता के मूल सिद्धांतों को समझने में भी सहायता मिलेगी। इस एप में सहकारिता पर गठित सभी कमेटियों की अनुशंसाएँ दी गई हैं। इससे आम लोगों को सहकारिता के जन्म 1904 से लेकर अब तक सहकारिता के क्रमबद्ध विकास की जानकारी सुलभ रहेगी। यह एप शोधकर्ताओं और नीतिगत विषयों पर निर्णय लेने वाले लोगों के लिये भी उपयोगी सिद्ध होगा।