भोपाल, जनवरी 2015/ नागरिकों से लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने अनुरोध किया है कि बुखार के साथ गले में तेज दर्द की स्थिति में नजदीकी शासकीय अस्पताल में पहुँचकर नि:शुल्क जाँच करवायें। प्रत्येक अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में स्वाइन फ्लू के मरीजों के उपचार के लिए वार्ड चिन्हित किए गए हैं। मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में विभागाध्यक्ष को उपचार के लिए नोडल अधिकारी नामांकित किया गया है। भारत शासन के प्रोटोकॉल के अनुसार उपचार की व्यवस्था की गई है। दवाइयाँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाई गई हैं। निजी अस्पताल उपचार में प्राय: दो-चार दिन का विलंब कर देते हैं जिससे रोगी की स्थिति नाजुक हो जाती है।
प्रदेश में सभी निजी नर्सिंग होम से आग्रह किया गया है कि स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले रोगियों को निर्धारित प्रोटोकाल के मुताबिक ही उपचार दिया जाए। इसके लिए मेडिकल एथिक्स का पूर्णत: पालन किया जाए। निजी नर्सिंग होम एसोसिएशन ने आश्वस्त किया है कि निर्धारित बिंदुओं का ध्यान रखा जाएगा और रोगियों का दोहन करने जैसा कोई काम नहीं होगा। राज्य सरकार ने निजी नर्सिंग होम के आवश्यक प्रोटोकाल के पालन में दोषी पाए जाने पर कठोर कार्यवाही की चेतावनी दी है।
स्वाइन फ्लू (एच-1 एन-1) के उपचार की टेमी फ्लू दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। जिन लोगों में स्वाइन फ्लू पॉजीटिव पाया गया है उन्हें हाई रिस्क केटेगरी में रखा गया है। इसके उपचार के लिए प्रदेश के अस्पतालों में आवश्यक दवाओं का पर्याप्त प्रबंध किया गया है।
निजी संस्थाएँ स्वाइन फ्लू के प्रकरण को केस शीट के साथ प्रतिदिन समीक्षा के लिए संभाग स्तर पर मेडिकल कॉलेज के डीन की अध्यक्षता में गठित समिति को प्रस्तुत करेंगी। समिति में संभागीय संयुक्त संचालक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा मेडीसिन विभागाध्यक्ष एवं नोडल अधिकारी सदस्य होंगे, जो 24 घंटे में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
अस्पताल को नोटिस
भोपाल के अक्षय अस्पताल को एक रोगी के स्वाइन फ्लू के उपचार में 6 दिन विलम्ब किये जाने के मामले में नोटिस जारी किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल के विरुद्ध कठोर कार्यवाही प्रारंभ कर दी है। उल्लेखनीय है कि निजी अस्पतालों को स्वाइन फ्लू के उपचार के संबंध में पूर्व में विस्तृत निर्देश जारी किये गये हैं।