भोपाल, जनवरी 2015/ मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली से भेंट कर मध्यप्रदेश को 13वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित स्थानीय निकायों को देय 2100 करोड़ की अनुदान राशि मुहैया करवाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में आयोग द्वारा निर्धारित समस्त शर्तों का पालन भी किया जा चुका है। साथ ही सामान्य अनुपालन अनुदान वर्ष 2012-13 में 129.40 करोड़ तथा वर्ष 2013-14 में 152.60 करोड़ रूपये, इस प्रकार मध्यप्रदेश को कुल 282 करोड़ रूपये प्राप्त होना है। तेरहवें वित्त आयोग में राज्यों की जरूरतों के आधार पर राज्य विशिष्ट अनुदानों की भी अनुशंसा की गयी थी, जिसमें आँगनवाड़ी केन्द्रों के निर्माण के लिये 100 करोड़, पुरातत्व कार्यों के लिए 45 करोड़, पुलिस प्रशिक्षण को 45 करोड़, स्वास्थ्य अधोसंरचना के लिये 110.50 करोड़, गाँधी मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजी लेब तथा एम.टी.एच. हास्पिटल इंदौर के अपग्रेडेशन के लिए 23 करोड़ की राशि केन्द्र से प्राप्त होना है। त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम में राज्य को 335 करोड़ के दावे के विरूद्ध मात्र 200 करोड़ रूपये प्राप्त हुए हैं। साथ ही मनरेगा में भी राज्य अपनी ओर से 400 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। योजना में 1500 करोड़ की आवश्यकता होगी। अतः केन्द्र राज्य को अविलम्ब सहायता प्रदान करे।
मुख्यमंत्री ने वर्ष 2016 में उज्जैन में होने वाले महाकुम्भ पर्व सिंहस्थ के संबंध में राज्य की महत्वाकांक्षी योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि अधोसंरचना एवं महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं पर 3500 करोड़ से अधिक की राशि व्यय होगी। राज्य ने इसके लिए 1750 करोड़ का प्रावधान किया है। उन्होंने शेष 50 प्रतिशत राशि के लिए केन्द्र से सहायता की अपेक्षा की। केन्द्रीय वित्त मंत्री ने मुख्यमंत्री को हर-संभव सहायता का आश्वासन दिया।
विकास परियोजना की पैरवी करेंगी स्वराज
मुख्यमंत्री ने विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज से मिलकर उन्हें मध्यप्रदेश की विकास योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने उन्हें मध्यप्रदेश के बासमती उत्पादक कृषकों की तकलीफ से अवगत करवाते हुए एपीडा द्वारा बासमती चावल के संबंध में भौगोलिक पंजीयक चेन्नई के 31 दिसम्बर 2013 के फैसले का सम्मान करते हुए बौद्धिक सम्पदा अधिकार संबंधी बोर्ड से अपनी अपील वापस करवाने में मदद करने की बात कही। ऐसा करने से राज्य के चावल उत्पादक किसानों के हितों का संरक्षण होगा। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को उज्जैन सिंहस्थ संबंधी योजनाओं में केन्द्रीय विभागों का सहयोग दिलवाने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने वन संबंधी सुब्रमण्यम समिति की अनुशंसाओं की विसंगतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि बड़े झाड़ और छोटे झाड़ वाली राजस्व भूमि को वन क्षेत्र में शामिल करना, क्षतिपूर्ति वनीकरण का सुझाया गया पैमाना और 70 प्रतिशत वन क्षेत्र में किसी भी प्रकार के विकास कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध विसंगतिपूर्ण है, जो मध्यप्रदेश के विकास में बाधक होगा। मुख्यमंत्री ने इन अनुशंसाओं को लागू करने से पूर्व मध्यप्रदेश का पक्ष समिति के समक्ष रखने का अवसर देने की बात कही। उन्होंने इस संबंध में केन्द्रीय मंत्री से पैरवी का भी आग्रह किया। श्रीमती स्वराज ने श्री चौहान को आश्वस्त किया कि वे राज्य हित की विकास योजनाओं के लिए निरन्तर प्रयास करती रहेंगी।