भोपाल, जनवरी 2015/ मध्यप्रदेश के विकास की दिशा में भागीरथ प्रयास करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली प्रवास के दूसरे दिन चार केन्द्रीय मंत्री, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, जल संसाधन मंत्री उमा भारती, गृह मंत्री राजनाथ सिंह तथा वित्त मंत्री अरूण जेटली से मुलाकात कर राज्य का पक्ष रखा और केन्द्रीय सहयोग एवं सहायता की माँग की।

बरगी को राष्ट्रीय दर्जा मिलेगा

केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती से मुलाकात में मुख्यमंत्री ने नर्मदा घाटी की बरगी डाइवर्जन परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की माँग की। ज्ञातव्य है कि नर्मदा नदी पर बनी यह परियोजना गंगा बेसिन को जोड़ती है। देश की ऐसी परियोजनाएँ, जो दो बेसिन को जोड़ने वाली हों, राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा हासिल करती हैं। मध्यप्रदेश की बरगी डाइवर्जन योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का प्रस्ताव जल संसाधन मंत्रालय के पास काफी समय से लंबित है। सुश्री भारती ने जल्द ही बरगी डायवर्जन परियोजना को राष्ट्रीय योजना का दर्जा दिये जाने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने जल आयोग में लंबित राज्य की 22 परियोजना की तकनीकी सलाहकार समिति से स्वीकृति प्रदान करने तथा आर्थिक सहायता जारी करने का आग्रह किया। केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री ने मध्यप्रदेश को इन योजनाओं के लिए 1520 करोड़ रूपये की राशि अविलम्ब जारी करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिये। उल्लेखनीय है कि राज्य इन परियोजनाओं संबंधी समस्त औपचारिकताओं को पहले ही पूरा कर चुका है।

भोपाल में ट्रेनिंग सेंटर

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर मध्यप्रदेश पुलिस के आधुनिकीकरण तथा भोपाल में काउन्टर इंसरजेंसी एण्ड एंटी टेरेरिस्ट ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने पर गम्भीर चर्चाएँ की। श्री चौहान ने कहा कि भोपाल में स्थापित होने वाले इस सेंटर में पुलिस बल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जायेगा। इसके लिए पाँच एकड़ भूमि भी चिन्हित कर ली गयी है। मुख्यमंत्री ने इस कार्य के लिए गृह मंत्रालय से 187 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता की माँग की। मध्यप्रदेश में पुलिस आधुनिकीकरण योजना की अनिवार्यता निरूपित करते हुए उन्होंने अपराधों के वैज्ञानिक अन्वेषण के लिये फोरेन्सिक प्रयोगशाला, वॉयस लेब एवं नवीन डी.एन.ए. प्रयोगशालाओं के उन्नयन आदि के लिए 250 करोड़ की सहायता सुलभ करवाने का गृह मंत्री से आग्रह किया। वर्तमान में केन्द्र सरकार राज्यों को इस कार्य के लिए 40:60 के अनुपात में सहायता देती है।

श्री चौहान ने केन्द्र की भागीदारी बढ़ाकर 90:10 के अनुपात में करने का आग्रह किया। साथ ही नक्सल प्रभावित राज्यों में केन्द्रीय सुरक्षा बल (सी.आर.पी.एफ.) की तैनाती पर होने वाला व्यय केन्द्र द्वारा ही वहन करने की बात कही। वर्ष 2007 से मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात सुरक्षा बल के लिए केन्द्र द्वारा राज्य से 162 करोड़ रूपये की मांग की जा रही है। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2004 से 2007 तक इस तरह के व्यय से मध्यप्रदेश को प्राप्त छूट का उल्लेख करते हुए इस व्यय को केन्द्र द्वारा वहन किये जाने का आग्रह किया। मुख्यंत्री ने स्पेशल इन्फ्रा-स्ट्रक्चर स्कीम से बालाघाट को अलग करने केन्द्र सरकार के निर्णय को वापस लेने का आग्रह किया क्योंकि बालाघाट में राज्य तथा केन्द्रीय बलों के संयुक्त प्रयासों से नक्सली घटनाओं में कमी आयी है। मुख्यमंत्री ने सिंगरौली में भारत रक्षित वाहिनी के गठन की अनुमति देने का भी अनुरोध किया। केन्द्रीय गृह मंत्री ने प्रदेश को यथा-सम्भव केन्द्रीय सहयोग एवं आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया।

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