भोपाल, जनवरी 2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न मंत्रि-परिषद् की बैठक में नवाचार पर आधारित नयी उद्यमिता विकसित करने अंश पूँजी की आवश्यकता पूरी करने के उद्देश्य से स्थापित किये जाने वाले वेंचर केपिटल फंड के लिए संस्थागत व्यवस्था करने का निर्णय लिया गया।

संस्थागत व्यवस्था के लिए वित्त विभाग के अधीन एसेट्स मेनेजमेंट कम्पनी के गठन की सभी औपचारिकाताएँ पूर्ण की जायेंगी। इसमें प्रदेश में मध्यप्रदेश वेंचर फायनेंस लिमिटेड अथवा रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज द्वारा अनुमोदित अन्य लगभग समान नाम से एक पब्लिक लिमिटेड कम्पनी का गठन किया जायेगा।

वेंचर केपिटल फंड की संस्थागत व्यवस्था के लिए वित्त विभाग के अधीन फंड के ट्रस्टी के रूप में कार्य करने के लिये एक प्रायवेट लिमिटेड कम्पनी के गठन की आवश्यक औपचारिकताएँ पूरी की जायेंगी। इसमें मध्यप्रदेश वेंचर फायनेंस ट्रस्टी कम्पनी प्रायवेट लिमिटेड अथवा रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज द्वारा अनुमोदित अन्य लगभग समान नाम से एक प्रायवेट लिमिटेड कम्पनी गठित की जायेंगी।

एसेट्स कम्पनी और ट्रस्टी कम्पनी के गठन के बाद कम्पनी द्वारा बेंकों, वित्तीय स्थापनाओं, कार्पोरेट्स आदि को भी अपना शेयर होल्डर बनाया जायेगा। इनके द्वारा न्यूनतम 51 प्रतिशत अंश धारित किये जा सकेंगे। सेबी एल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड्स रेग्यूलेशंस, 2012 के अनुसार वेंचर केपिटल फंड्स के लिए सेबी से पंजीयन प्रमाण-पत्र प्राप्त किया जायेगा। फंड के संचालन के लिए भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882 के प्रावधानों के अनुसार मध्यप्रदेश एमएसएमई फंड अथवा रजिस्ट्रार, फर्म्स एण्ड सोसायटीज द्वारा अनुमोदित समान नाम से एक ट्रस्ट बनाया जायेगा। इसके माध्यम से राशि एकत्र करते हुए निवेश नीति के अनुरूप निवेश किया जायेगा।

सेबी एल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड्स रेग्यूलेशंस, 2012 के प्रावधान के अनुसार राज्य शासन द्वारा 5 करोड़ रुपये का प्रारंभिक निवेश फंड में किया जायेगा। आवश्यक होने पर अतिरिक्त धनराशि भी निवेशित की जायेगी।

अन्य निर्णय

मंत्री-परिषद् ने मध्यप्रदेश वित्त निगम द्वारा चुकाई गई/दी जाने वाली गारंटी फीस के भुगतान के बराबर अतिरिक्त राशि अंश पूँजी के रूप में निगम को देने का निर्णय लिया। निगम द्वारा लघु एवं मध्यम इकाइयों के उद्यमियों को ऋण दिया जाता है। इस निर्णय से पिछड़े क्षेत्र के उद्यमियों को निगम द्वारा कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जा सकेगा।

विद्युत वितरण कम्पनियों को फीडर विभक्तिकरण योजना के क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण निगम से ऋण प्राप्त करने दी गई रूपये 1868.81 करोड़ की प्रत्याभूति की अवधि को 31 दिसम्बर 2015 तक अथवा सासन परियोजना के लिए एस्क्रो कवर के करार में संशोधन होने तक, दोनों में से जो पहले हो, बढ़ाने का निर्णय लिया।

निजी पूँजी निवेश पर आधारित ताप विद्युत संयंत्रों की स्थापना के लिए शासकीय भूमि उपलब्ध होने पर उसके प्रबंधन के लिए 4 अक्टूबर 2011 की अधिसूचना को 30 मई 2013 से निरस्त करने का निर्णय लिया।

विद्युत वितरण कम्पनियों को आर-एपीडीआरपी पार्ट-बी योजना के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण निगम से ऋण प्राप्त करने के उद्देश्य से दी गई 1388.23 करोड़ रुपये की प्रत्याभूति अवधि को 31 दिसम्बर 2015 तक बढ़ाने का निर्णय लिया।

मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड की श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना प्रथम चरण (2X600 मेगावाट) की लागत 6750 करोड़ से 7820 करोड़ रुपये तथा सतपुड़ा ताप विद्युत गृह की विस्तार इकाई क्रमांक 10 और 11 (2X250 मेगावाट) की लागत 3032 करोड़ से 3514 करोड़ रूपये पुनरीक्षित करने का निर्णय लिया।

सहकारी बेंकों के माध्यम से प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को रबी 2012-13, खरीफ 2013 तथा रबी 2013-14 सीजन में दिये गये अल्पावधि ऋण को 3 वर्षीय मध्यावधि ऋण में परिवर्तित की गई राशि के लिए 416.27 करोड़ रूपये की राशि नाबार्ड से पुनर्भुगतान प्राप्त करने के लिए नाबार्ड के पक्ष में मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बेंक मर्यादित भोपाल को 3 वर्ष के लिए शासकीय प्रत्याभूति देने का निर्णय लिया। साथ ही, इस पर प्रत्याभूति शुल्क से छूट दी जायेगी। खरीफ 2013 सीजन में 10 जिले के जिला सहकारी केन्द्रीय बेंकों से सम्बद्ध प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के स्तर पर अल्पावधि ऋण को मध्यावधि ऋण में परिवर्तित की गई आधिक्य राशि 71.19 करोड़ के लिए भी ब्याज अनुदान एवं राज्य शासन के हिस्से की 15 प्रतिशत राशि स्वीकृत करने का निर्णय लिया गया।

नगरपालिक निगम सागर की योजना क्रमांक 17321 में रीसेटिंग के लिए शासकीय प्रत्याभूति की समय-सीमा 31 मार्च 2016 और 31 सितम्बर 2019 तक बढ़ाने का निर्णय लिया। साथ ही, ब्याज दर 12.50 प्रतिशत के स्थान पर फ्लोटिंग दर 10.75 प्रतिशत किये जाने पर सहमति दी।

यूनियन कार्बाइड जहरीली गैस रिसाव जाँच आयोग,भोपाल के कार्यकाल को 24 फरवरी 2015 तक बढ़ाने के मुख्यमंत्री के आदेश का अनुसमर्थन किया।

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