भोपाल, जनवरी 2015/ ऊर्जा क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्यों के लिए ऊर्जा विषय पर हुए राष्ट्रीय सम्मेलन ”पॉवर फोकस” में केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल को अवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया। श्री गोयल ने ऊर्जा क्षेत्र की हस्तियों की मौजूदगी में मध्यप्रदेश द्वारा ऊर्जा और गैर-परम्परागत ऊर्जा के क्षेत्र में अपनाये गये नवाचार, विद्युत उत्पादन वृद्धि, वितरण प्रणाली में सुधार, घरेलू और कृषि क्षेत्र में विद्युत वितरण के लिये पृथक-पृथक फीडर की प्रक्रिया को अमली जामा देने जैसे अनुकरणीय प्रयासों की मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की।
पेनल डिस्कशन में ऊर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने विगत 12 वर्ष में विद्युत उत्पादन एवं वितरण के क्षेत्र में किये गये समर्पित प्रयासों का सिलसिलेवार उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश के 51 जिले में अटल ज्योति अभियान के अंतर्गत गैर कृषि उपभोक्ताओं को 24 घण्टे और कृषि प्रयोजन के लिए 10 घण्टे गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति आश्वस्त की गई। वर्ष 2003 में दीर्घकालीन विद्युत क्रय अनुबंध से उपलब्ध विद्युत की कुल क्षमता 4673 मेगावाट थी, जो वर्तमान में बढ़कर 13 हजार 398 मेगावाट हो गई है। यह क्षमता मार्च 2015 तक 15 हजार 398 मेगावाट हो जायेगी। वर्ष 2018 में यह क्षमता 18 हजार 182 मेगावाट होगी। वर्ष 2003 में 2709 करोड़ यूनिट विद्युत प्रदाय हुई थी, जो वर्ष 2014 में 90 प्रतिशत बढ़कर 5139 करोड़ यूनिट हो गयी। साथ ही वर्ष 2003 में हमारी ट्रांसमिशन प्रणाली की क्षमता 4307 मेगावाट थी, जो मार्च 2014 में बढ़कर 11 हजार 904 मेगावाट हो गई। वर्तमान में 186 प्रतिशत बढ़कर 12 हजार 317 मेगावाट तक पहुँच चुकी है। मध्यप्रदेश में 33 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र में लगे पावर ट्रांसफार्मर 2003 में 2649 थे, जो इस वर्ष 5360 हो गये हैं। यह वृद्धि 102 प्रतिशत है। साथ ही वर्ष 2003 में 29070 कि.मी. 33 के.व्ही. लाइन आज बढ़कर 43910 कि.मी. तथा 11 के.व्ही. लाइन की लाइनों की लम्बाई 1.58 लाख कि.मी. से बढ़कर 2.93 लाख कि.मी. हो गई है। यह वृद्धि क्रमशः 33 के.व्ही. लाइन के लिए 51 प्रतिशत तथा 11 के.व्ही. लाइन के लिए 85 प्रतिशत है।
श्री शुक्ल ने विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या में निरन्तर हो रही वृद्धि का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 2003 में जहाँ 63.96 लाख उपभोक्ता थे वहीं वर्तमान में यह संख्या एक करोड़ 9 लाख हो चुकी है। इसी प्रकार राजस्व में भी 312 प्रतिशत की वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि ट्रांसमिशन क्षति को 7.93 से कम करते हुए 3 प्रतिशत पर लाये हैं। इसी प्रकार ए.टी. एण्ड सी क्षति को भी लगभग आधा किया जा सका है। विद्युत कम्पनियों में भर्ती प्रतिबंध को समाप्त करते हुए नई भर्तियाँ की गई। प्रदेश के तीन शहर ग्वालियर, सागर और उज्जैन में बतौर प्रयोग प्राइवेट सेक्टर को भी जिम्मेवारी सौंपी गई, जिसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं। मध्यप्रदेश में विद्युत परिदृश्य में आये सुधारों का परिणाम है कि कृषि क्षेत्र को सहारा मिला और प्रदेश को निरन्तर तीन वर्ष से कृषि उत्पाद वृद्धि में प्रतिमान स्थापित करने पर कृषि कर्मण अवार्ड मिले। श्री शुक्ल ने कहा कि मध्यप्रदेश में एशिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र की भी स्थापना की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि पॉवर विकास की कुन्जी है और मध्यप्रदेश ऊर्जा क्षेत्र में उद्यमियों और निवेशकों को आमंत्रित करता है।