भोपाल, जनवरी  2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न मंत्री-परिषद की बैठक में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और अधिक मजबूत और सुचारु बनाने के लिये मंत्री-परिषद ने मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश-2014 को अंतिम रूप दिया। अनुमोदन होने पर प्रारूप को अनुमोदन के लिए केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा।।

नई व्यवस्था के अनुसार राशन-कार्ड केवल सत्यापित परिवारों को ही जारी होंगे। राशन-कार्ड परिवार की मुखिया के नाम से जारी किया जायेगा। प्रत्येक परिवार में वरिष्ठ महिला, जिसकी आयु 18 वर्ष से कम न हो, राशन-कार्ड जारी करने के लिये परिवार की मुखिया मानी जायेगी। परंतु किसी परिवार में कोई महिला अथवा 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिला न हो, तब वरिष्ठ पुरुष सदस्य के नाम से राशन-कार्ड जारी होगा। महिला सदस्य के 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर ऐसे राशन-कार्ड के लिये पुरुष सदस्य के स्थान पर वह परिवार की मुखिया बन जायेगी। नवीन राशन-कार्ड जारी करने अथवा उसमें संशोधन की समयावधि 15 दिन और डुप्लीकेट राशन-कार्ड जारी करने की समयावधि 3 कार्य-दिवस होगी।

नई व्यवस्था में बुरहानपुर, होशंगाबाद, हरदा और खण्डवा में बायो-मेट्रिक वितरण की व्यवस्था का प्रावधान है क्योंकि वहाँ इसे आधार के साथ जोड़ा गया है। उचित मूल्य दुकानों की संख्या और स्थान संबंधी मापदण्डों को भी परिवर्तित किया गया है। जिले के किसी नगरीय क्षेत्र में उचित मूल्य दुकानों की अधिकतम संख्या की गणना करने के लिये क्षेत्र के कुल पात्र परिवार की संख्या में 800 से भाग दिया जायेगा। क्षेत्र में ऐसी संख्या से अधिक उचित मूल्य दुकानें नहीं खोली जायेंगी।

ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक पंचायत में एक उचित मूल्य दुकान होगी। किसी पंचायत में पात्र परिवारों की संख्या 800 से अधिक होने पर एक अतिरिक्त दुकान खोली जा सकेगी। लेकिन किसी पंचायत में पात्र परिवार की संख्या 800 से अधिक होने पर एक अतिरिक्त दुकान खोले जाने पर पात्र परिवारों का विभाजन इस प्रकार होगा कि अतिरिक्त दुकान में पात्र परिवार की संख्या यथा-संभव 400 से कम न हो।

जिले के ग्रामीण क्षेत्र और प्रत्येक नगरीय क्षेत्र में यथा-संभव न्यूनतम एक-तिहाई उचित मूल्य दुकानें महिलाओं की संस्थाओं को आवंटित की जायेंगी। इनका संचालन भी महिला विक्रेता द्वारा किया जायेगा। ऐसी संस्था को महिलाओं की संस्था माना जायेगा, जिसके सभी सदस्य और पदाधिकारी महिलाएँ हों। नई व्यवस्था में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दो श्रेणी अंत्योदय अन्न योजना एवं प्राथमिकता श्रेणी के परिवार का प्रावधान रखा गया है। नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्व की निर्धारित सहकारी समिति एवं वन प्रबंधन समिति के अतिरिक्त महिला स्व-सहायता समूह को भी उचित मूल्य दुकान दिये जाने का प्रावधान है।

उचित मूल्य दुकानों तक सामग्री पहुँचाने का कार्य अब मध्यप्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा किया जायेगा। इस कार्य में लीड समिति की भूमिका समाप्त कर दी गई है। उचित मूल्य दुकानों का स्थान अब संबंधित नगरीय निकाय/जिला पंचायत द्वारा अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में उपभोक्ताओं की सुविधा के आधार पर निश्चित किया जायेगा। गरीब एवं जरूरतमंद उपभोक्ताओं की सुविधा के लिये यह प्रावधान किया गया है कि यदि राशन कार्डधारक किसी माह के दौरान उस माह की पात्रतानुसार सामग्री का क्रय नहीं करता, तो वह शेष सामग्री अगले माह प्राप्त कर सकेगा। सामग्री एकमुश्त अथवा किश्तों में प्राप्त की जा सकती है।

उचित मूल्य दुकान से सामग्री का डायवर्जन रोकने तथा सामग्री सही उपभोक्ता को प्राप्त हो इसके लिए उसकी पहचान करने के लिये राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दस्तावेज अथवा बायो-मेट्रिक चिन्ह प्राप्त करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, राशन कार्ड भौतिक अथवा इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में जारी किये जायेंगे। नई व्यवस्था में उपभोक्ता अपनी सुविधा के अनुसार दुकान का चयन कर वहाँ से सामग्री खरीद सकता है। अनियमितता की पहली शिकायत पर दुकानदार पर अर्थ दण्ड किया जायेगा और दुबारा शिकायत का दोषी पाये जाने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जायेगी।

मंत्री-परिषद ने सहकारी बेंकों के माध्यम से प्राथमिक साख समितियों द्वारा किसानों को दिये जाने वाले अल्पावधि ऋण पर शून्य प्रतिशत ब्याज दर की योजना वर्ष 2014-15 में लागू करने का निर्णय लिया गया।

निर्णय के अनुसार अल्पावधि कृषि ऋण की ड्यू डेट (खरीफ फसल के लिये 28 मार्च और रबी फसल के लिये 15 जून, 2015) तक नियमित और समय पर भुगतान करने वाले किसानों के ऋण खाते में ऋण वितरण दिनांक से ऋण अदायगी की तिथि तक शून्य प्रतिशत ब्याज दर व्यवस्था लागू होगी।

खरीफ फसल के लिये 28 मार्च और रबी फसल के लिये 15 जून, 2015 तक ऋण भुगतान नहीं करने वाले किसानों को ऋण खाते में ऋण वितरण दिनांक से ड्यू डेट तक 3 प्रतिशत की दर से ब्याज देना होगा। ड्यू डेट के बाद ऋण की भुगतान तिथि तक व्यावसायिक दर से ब्याज दिया जायेगा। इसके लिये राज्य शासन द्वारा खरीफ फसल के मामले में ऋण देने के दिनांक से ऋण भुगतान की दिनांक तक तथा रबी फसल की स्थिति में ड्यू डेट तक की अवधि के लिये 6 प्रतिशत ब्याज अनुदान निर्धारित बेस रेट 11 प्रतिशत के मान से उपलब्ध करवाया जायेगा।

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