भोपाल/ मध्यप्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि शहरी सीमा के निकट स्थित ग्राम-पंचायत क्षेत्र के गाँव में कॉलोनाइजरों को विक्रय योग्य आवासीय क्षेत्र में कुल निर्मित क्षेत्र का 6 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर तथा निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिये आरक्षित करना होगा। निर्मित आवासीय इकाइयों के मामले में भी कुल निर्मित क्षेत्र का 6 प्रतिशत आरक्षण करना अनिवार्य होगा। इससे इन वर्ग के परिवारों को कम दर पर व्यवस्थित आवास उपलब्ध होंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न मंत्रि-परिषद् की बैठक में निर्णय लिया गया कि कॉलोनाइजर द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर एवं निम्न वर्ग के लिये भूखण्ड/भवन आरक्षित न किये जाने की दशा में आश्रय शुल्क जमा करना होगी। आश्रय शुल्क की राशि संबंधित जिला पंचायत में जमा होगी। इस राशि से ईडब्ल्यूएस/एलआईजी वर्ग के ग्रामीण आवासहीन व्यक्तियों के लिये आवास निर्मित किये जायेंगे।
इसके अलावा कॉलोनी के बाह्य विकास कार्य के लिये कॉलोनाइजर को आश्रय शुल्क जमा करना होगा। इस कार्य में सड़कों, जल-निकास तथा मल-प्रवाह प्रणाली का संधारण शामिल है। ग्राम-पंचायतों में कॉलोनियों के निर्माण के लिये कॉलोनाइजर को 50 हजार रुपये रजिस्ट्रीकरण शुल्क जमा करना होगा। पहले यह शुल्क 5000 रुपये थी। कॉलोनी के विकास के लिये अनुज्ञा शुल्क में वृद्धि कर उसे 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है।
सरकार ने मकान क्षति के मामलों में दी जाने वाली सहायता राशि में वृद्धि की है। इसके अनुसार इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान (आईएपी) वाले जिलों में पक्के मकान के पूरी तरह नष्ट हो जाने पर दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि को 70 हजार से बढ़ाकर 75 हजार रुपये कर दिया गया है।
वर्तमान में भारत सरकार के गृह मंत्रालय के नक्सल मेनेजमेंट डिवीजन के अनुसार प्रदेश के बालाघाट, अनूपपुर, डिण्डोरी, मण्डला, सिवनी, शहडोल, सीधी, उमरिया, छिन्दवाड़ा और सिंगरोली जिले आईएपी डिस्ट्रिक्ट श्रेणी में आते हैं।
गंभीर क्षतिग्रस्त मकान (जहाँ क्षति 50 प्रतिशत से अधिक हो) की स्थिति में पक्के मकान की क्षति पर राशि अधिकतम 6,300 रुपये से बढ़ाकर 12 हजार 600 रुपये तथा कच्चे मकान पर 3,200 रुपये से बढ़ाकर 3,800 रुपये कर दी गई है।
आंशिक क्षति-ग्रस्त मकान (क्षति 15 से 50 प्रतिशत) के मामले में पक्के मकान (झुग्गी के अलावा) की क्षति पर राहत राशि अधिकतम 2,500 रुपये से बढ़ाकर 3,800 रुपये तथा कच्चे मकान (झुग्गी के अलावा) के मामले में अधिकतम राशि 1900 रुपये से बढ़ाकर 2300 रुपये कर दी गई है। मकान से संलग्न पशु-घर की क्षति पर राहत राशि अधिकतम 1250 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये कर दी गई है।