भोपाल, दिसम्बर 2014/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि लोकमान्य तिलक सांस्कृतिक न्यास से जुड़े लोगों ने आज से कई वर्षों पूर्व जो बीजारोपण किया था, वह विराट् वृक्ष का रूप ले चुका है। लगन और निष्ठा से शिक्षा की गतिविधि चलाना कोई आसान काम नहीं है। यहाँ के छात्रों ने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से संस्था का नाम देश और विदेश में रोशन किया है। संस्था को अब विश्वविद्यालय का रूप देना चाहिये। आज हमारे सामने अच्छी शिक्षा देने की चुनौती है। स्वामी विवेकानन्द कहते थे कि शिक्षा वही है जो मनुष्य को मनुष्य बना सके। इस दिशा में निश्चित रूप से लोकमान्य तिलक न्यास ने अनुकरणीय काम किया है। मुख्यमंत्री ने यह बात लोकमान्य तिलक शिक्षण समिति उज्जैन के स्वर्ण जयन्ती वार्षिक उत्सव एवं पूर्व छात्र सम्मेलन में कही।

श्री चौहान ने संस्था के पूर्व छात्र एवं हाल ही में विक्रम अवार्ड से सम्मानित चन्द्रशेखर चौहान को मलखंब के लिये 11 हजार रूपये का ‘नारंग स्मृति’ पुरस्कार एवं संस्था की ओर से 5 हजार रूपये का नगद पुरस्कार भेंट किया।

प्राचार्य अशोक कंडेल ने कहा कि संस्था 1963 में प्रारम्भ हुई थी, तब इसमें मात्र 26 छात्र और दो कमरे थे। आज संस्था का स्वरूप विशाल हो चुका है और पाँच हजार से अधिक छात्र इसमें अध्ययनरत् हैं। संस्था अध्यक्ष ओमप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि पूर्व छात्रों का यह मिलन अद्भुत है। सभी के सहयोग से संस्था में 11 इकाईयाँ काम कर रही हैं। पालकों के आग्रह पर सीबीएसई विद्यालय भी प्रारम्भ किया गया है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर समिति की ओर से प्रकाशित 51वें स्वर्ण जयन्ती समारोह स्मारिका का विमोचन भी किया। स्मारिका में पूर्व छात्रों के संस्मरण एवं संस्था की शैक्षणिक गतिविधियों का समावेश है।

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