भोपाल, दिसम्बर 2014/ भोपाल में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय हर्बल मेले में लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है। मेले में अब तक 36 लाख रुपये से अधिक की वनोषधियाँ और वनोत्पादों की बिक्री हो चुकी है। लाल परेड मैदान में आयोजित मेले में स्टीविया, सफेद मूसली, आँवला एवं आँवले से बने उत्पाद, शहद, लेमन-ग्रास से बनी चाय की विशेष माँग बनी हुई है।
मेला प्रांगण में स्थापित 26 ओपीडी कक्ष में प्रदेश के विभिन्न अंचल से आये वैद्य लोगों को नि:शुल्क चिकित्सा परामर्श दे रहे हैं। इन शिविर में अब तक 1,500 से अधिक लोग नि:शुल्क चिकित्सा परामर्श का लाभ उठा चुके हैं। यह चिकित्सा शिविर प्रात: 11 से सायं 7 बजे तक जन-सामान्य के लिये सुलभ हैं।
हर्बल मेले में आज फेंसी ड्रेस, लोक-नृत्य, आर्केस्ट्रा आदि सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ क्रेता-विक्रेता सम्मेलन हुआ। इसके पूर्व मेले में छात्र-छात्राओं की चित्रकला प्रतियोगिता, खुला मंच, गायन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मेले में लघु वनोपजों के संवहनीय प्रबंधन एवं विधिक स्रोत विषय पर कार्यशाला भी हुई। कार्यशाला में भूटान, बांग्ला देश एवं नेपाल के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक राज्य के प्रतिनिधि ने भाग लिया।
मेला प्रांगण में आगंतुकों को हर्बल उत्पादों के प्रमाणीकरण एवं जैविक खेती के अनुभव एवं जानकारी देने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश जैविक प्रमाणीकरण संस्था, शुजालपुर का स्टॉल भी लगाया गया है। हर्बल मेले में 250 से अधिक स्टॉल लगाये गये हैं, जिनमें विभिन्न प्राथमिक सहकारी समितियों के 100 स्टॉल शामिल हैं। मध्यप्रदेश बाँस मिशन एवं बालाघाट के बाँस से बने फर्नीचर आकर्षण का केन्द्र हैं। मेले का समापन 23 दिसम्बर को होगा।