भोपाल, दिसम्बर 2014/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में बासमती धान की खरीदी देश के अन्य प्रदेशों के न्यूनतम मूल्य से कम पर नहीं हो। किसानों के हितों के संरक्षण में ही सबका हित है। श्री चौहान बासमती की अन्तर्राष्ट्रीय मांग में आयी कमी से उत्पन्न मंदी के इस दौर में धान खरीदी के बारे में व्यापारियों तथा मिलर प्रतिनिधियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे।

श्री चौहान ने निर्देशित किया कि बासमती उत्पादक सभी राज्यों की बड़ी मंडियों के बासमती धान के भाव प्रतिदिन प्रदेश की धान मंडियों में प्रदर्शित किये जाये। बैठक में बताया गया कि शासन ने निर्णय लिया है कि राज्य में पैदा होने वाली ऐसी बासमती धान को 31 मार्च तक मंडी फीस से पूर्ण छूट रहेगी, जिसकी बिक्री किसानों द्वारा मंडियों में की जाती है तथा जिसका उपयोग बासमती चावल बनाने के लिये प्रदेश की धान मिलों में होता है अथवा प्रदेश से बाहर ले जाने के लिये किया जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों और व्यापारियों के सहयोग के लिए सभी जरूरी उपाय सरकार ने किये हैं। बैठक में तय किया गया कि 10 करोड़ रूपये से अधिक की वार्षिक धान खरीदी पर लगने वाले कर की न्यूनतम सीमा को बढ़ाकर 50 करोड़ रूपये कर दिया जाय। इस निर्णय से अब वर्ष में 50 करोड़ रूपये से अधिक की खरीदी करने वाले व्यापारी को ही टैक्स देना होगा। इसके साथ ही धान की भंडारण दरों को भी समायोजित करने का निर्णय लिया गया। इससे प्र-संस्करण कर्ता और क्रेता दोनों को ही दिक्कत नहीं रहेगी। बताया गया कि राज्य सरकार प्रदेश के बासमती की यूरोप में ब्रांडिंग और मार्केटिंग की भी पहल करेगी।

बैठक में कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन, खाद्य-नागरिक आपूर्ति मंत्री विजय शाह, मुख्य सचिव अंटोनी डिसा, अपर मुख्य सचिव कृषि आर.के. स्वाई, बासमती के व्यापारी एवं मिलर उपस्थित थे।

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