भोपाल, नवम्बर 2014/ मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा ने कहा है कि बौद्धिक संपदा के संरक्षण के लिए प्रयास आवश्यक हैं। सर्वांगीण विकास के लिए नवाचारों और नए शोध को उपयोग में लाने की जरूरत है। इस क्षेत्र में भ्रांतियों को दूर करते हुए जागरूकता बढ़ाने की भी आवश्यकता है। मुख्य सचिव यहाँ भारत सरकार के उद्योग, वाणिज्य मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन द्वारा पीएचडी चेम्बर ऑफ कामर्स के सहयोग से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी में लघु उद्यमियों और शासकीय अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। मुख्य सचिव ने कहा कि बौद्धिक संपदा (आईपीआर) अनेक स्वरूप में सामने आती हैं। विज्ञान, साहित्य, प्रदर्शनकारी कलाएँ, औद्योगिक नवाचार, वैज्ञानिक खोज आदि से संबंधित संपदा के संरक्षण के लिए अनेक उपाय हैं। इनमें पेटेन्ट, कापीराइट, ट्रेडमार्क, जियाग्राफिकल इन्डीकेशन्स,पारंपरिक ज्ञान आदि शामिल हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि मध्यप्रदेश में मेपकॉस्ट में पेटेन्ट इन्फारमेशन सेंटर के संचालन सहित राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित वैधानिक प्रावधानों से आमजन को अवगत करवाया जाना चाहिए। इस तरह की संगोष्ठियों का आयोजन वृहद स्तर पर किया जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि नागरिकों को विभिन्न उत्पादकों के पेटेन्ट के संबंध में भी सही जानकारी दी जानी चाहिए जिससे व्याप्त भ्रांतियों और गलत धारणाओं को समाप्त किया जा सके। श्री डिसा ने कहा कि यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि किसी उत्पाद का पेटेन्ट न होने पर भी उसके उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध नहीं होता। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के युवक श्रेष्ठ उद्यमी बन सकें इस दृष्टि से भी इस विषय के प्रति जागरूकता बढ़ाने के निरंतर प्रयास होना चाहिए। आईपीआर व्यवस्था को सरकार का पूरा सहयोग मिलेगा। महानिदेशक मेपकॉस्ट प्रमोद वर्मा ने कहा कि पेटेन्ट कानून काफी पुराना है। इसके नए प्रावधानों से शासकीय सेवक, उद्योगपति और अकादमिक क्षेत्र के व्यक्तियों को अवगत करवाने के लिए गोष्ठियों का आयोजन आवश्यक है। चेम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के रीजनल डायरेक्टर आय.जी. द्विवेदी ने कहा कि उनकी संस्था बौद्धिक संपदा अधिकार के प्रचार-प्रसार के लिए भी कार्यरत है। संगोष्ठी में भारत सरकार के वरिष्ठ संयुक्त नियंत्रक पेटेन्ट एंड डिज़ाइन, इन्टेलेक्चुएल प्रापर्टी ऑफिस के.एस. कर्दम और उद्यानिकी आयुक्त एम.एस. धाकड़ भी उपस्थित थे।

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