भोपाल। मध्यप्रदेश का महिला-बाल विकास विभाग अपनी सेवाओं को जन-जन तक पहुँचाने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी का भरपूर उपयोग कर रहा है। विभाग ने अपनी वेबसाइट www.mpwedmis.org को और उपयोगी बनाने के साथ ही उसे नया स्वरूप दिया है।
राज्य की सर्वाधिक लोकप्रिय लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिये भी अलग वेबसाइट www.ladlilaxmi.com बनाई गई है। इसके जरिये लोगों को योजना की विस्तृत जानकारी के साथ ही स्वीकृत प्रकरणों की सूचना भी उपलब्ध करवाई जाती है। प्रत्येक लाड़ली लक्ष्मी की जानकारी को लगभग 21 वर्ष तक रखा जाना है। उनके लिये राष्ट्रीय बचत-पत्र कब बनाने हैं, कब उनका नवीनीकरण होना है, आदि जानकारी अब तक कागजी रिकार्ड देखकर निकालना पड़ती थी। अब हितग्राहियों को दे दिये जाने वाले लाभ और अन्य जानकारी तत्परता से प्राप्त करने तथा जानकारी को अधिक प्रभावी व व्यवस्थित बनाने के उद्देश्य से ऑनलाइन सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है।
विभाग ने हितग्राहियों को लाड़ली लक्ष्मी योजना के स्वीकृत प्रकरणों की जानकारी एस.एम.एस. के माध्यम से देने की भी सुविधा प्रारंभ की है। आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भुगतान किये गये मानदेय आदि की जानकारी भी उन्हें एस.एम.एस. द्वारा दी जा रही है।
विभाग द्वारा कॉल-सेंटर के नम्बर 155343 का भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया है। समेकित बाल विकास परियोजना में मॉनीटरिंग व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिये विभाग द्वारा वेब इनेबल्ड मॉनीटरिंग सिस्टम लागू किया गया है। इस व्यवस्था में आँगनवाड़ी स्तर तक की जानकारी क्षेत्र से प्राप्त की जा रही है। प्राप्त होने वाली जानकारी के आधार पर ही दी जा रही सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार और भविष्य की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये कार्य-योजना तैयार की जा रही है।
इसके साथ ही अटल बिहारी वाजपेई बाल आरोग्य एवं पोषण-मिशन के अंतर्गत उज्जैन, देवास आदि जिलों में चल रहे वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाया गया है। मिशन की गतिविधियों के बेहतर संचालन के लिये कुछ जिलों ने नवाचारों का उपयोग भी किया है। होशंगाबाद जिले में वात्सल्य सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। सॉफ्टवेयर में जिले के सभी 5 वर्ष तक के बच्चों का वजन, ऊँचाई, भुजा माप आदि लेकर उसे वात्सल्य सॉफ्टवेयर में ऑनलाइन फीड किया गया है। सॉफ्टवेयर स्वतः बच्चों की ग्रेडिंग करता है।
महिला-बाल विकास विभाग की प्रत्येक तीन माह में होने वाली बैठक में भी जिलों से ऑनलाइन जानकारी ली जाती है। त्रैमासिक बजट आवंटन और व्यय का मूल्यांकन भी ऑनलाइन किया जा रहा है।