भोपाल, अक्टूबर 2014/ देश के सभी न्यायालयों में 6 दिसंबर 2014 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन होगा। मध्यप्रदेश में भी विभिन्न स्तर पर आयोजन होंगे। मुख्य न्यायाधिपति एवं मुख्य संरक्षक, मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर ने नेशनल लोक अदालत का आयोजन प्रदेश में उच्च न्यायालय से लेकर जिला एवं तहसील न्यायालयों पर करने के निर्देश दिए है। इसके लिए जरुरी तैयारियाँ शुरू कर दी गई हैं।
नेशनल लोक अदालत के लिए ऐसे प्रकरणों को चिन्हित किया गया है जिसमें पक्षकार सौहार्दपूर्ण वातावरण में प्रकरणों का निराकरण करने के लिए प्रयास कर सकें। प्रमुख रूप से आपराधिक शमनीय प्रकरण, परक्राम्य अधिनियम की धारा 138 के प्रकरण, एम ए सी टी प्रकरण, वैवाहिक, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण, दीवानी मामले, राजस्व, मनरेगा, विद्युत एवं जल कर संबंधी, विक्रय कर, आयकर, अप्रत्यक्ष कर इत्यादि से संबंधित मामले, सेवा मामले जो सेवानिवृत्त संबंधी लाभों से संबंधित है, वन अधिनियम के मामले, छावनी बोर्ड से संबंधित मामले, रेलवे क्लेम, आपदा क्षतिपूर्ति संबंधी मामले, प्रकीर्ण अपीलें, सिविल अपीलें, द्वितीय अपील, याचिकाएँ, उच्च न्यायालय के समक्ष एम ए सी टी अपीलें, प्री-लिटिगेशन मामले एवं विभिन्न विशेष विधियों के मामले हैं।
नेशनल लोक अदालत के साथ-साथ छह दिसंबर से मेगा लोक अदालत का भी आयोजन होगा। नेशनल लोक अदालत प्रदेश के समस्त न्यायालय में उच्च न्यायालय स्तर से तहसील स्तर तक लगेगी। मेगा लोक अदालत में उपभोक्ता फोरम संबंधी मामले, प्ली-बारगेनिंग (मोल भाव), सहकारिता मामले, आपराधिक समरी मामले, एफआर आपराधिक प्रकरणों की वापसी, विद्युत अधिनियम के मामले एवं शिक्षा, स्वास्थ्य, वन एवं अन्य शासकीय विभाग से संबंधित विधिक सहायता (लीगल सर्विसेस मामले) संबंधी मामले रखे जाएँगे।
लोक अदालतों में न्यायालय में विचाराधीन अथवा न्यायालय में दायर होने के पूर्व (प्री-लिटिगेशन) प्रकरणों का निराकरण आपसी सुलह और समझौते के आधार पर अधिक से अधिक संख्या में करवाया जाना है। इन लोक अदालत में ऐसे पक्षकार, जो अपना प्रकरण निराकृत करवाना चाहते हैं, को अधिक से अधिक लाभांवित करने का लक्ष्य है।