भोपाल, अक्टूबर 2014/ मध्यप्रदेश में मछुआ कल्याण योजनाओं का लाभ पौने दो लाख मछुआरों को मिल रहा है। चालू माली साल के पहले चार माह में जुलाई तक 7126 मछुआरों को दुर्घटना बीमा योजना का लाभ मिला है, जो विगत वर्ष के पहले चार माह की तुलना में 259 प्रतिशत अधिक है। वर्तमान वर्ष में 15 हजार मछुआरों को योजना का लाभ दिलाने का लक्ष्य रखा गया है।

मछुआरों के लिये चलाई जा रही बचत-सह राहत योजना में भी 229 प्रतिशत उपलब्धि दर्ज हुई है। जनश्री बीमा योजना में शुरू के चार माह में 1414 मछुआरों ने लाभ उठाया। गत वर्ष इसी अवधि तक मात्र 546 मछुआरों ने योजना का लाभ लिया था। जलदीप योजना में भी 389 प्रतिशत उपलब्धि दिखी।

मछुआरों के बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से चलाई जा रही शिक्षा प्रोत्साहन योजना में पहले चार माह में 171 बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं। गत वर्ष चार माह में 127 बच्चों को योजना का लाभ मिला था। मछुआरों की प्रोत्साहन पुरस्कार योजना में जुलाई तक 167 मछुआरों ने लाभ अर्जित किया। पिछले साल जुलाई तक 123 मछुआरे लाभान्वित किये जा चुके थे। इस वर्ष अब तक 5 मछुआ सदस्यों को गंभीर बीमारी के इलाज के लिये अनुदान राशि दी जा चुकी है।

राज्य शासन ने मछुआरों को मिलने वाली पारिश्रमिक राशि में भी वृद्धि की है। वर्ष 2012-13 में मत्स्य सहकारी समितियों के सदस्यों को 11 करोड़ 20 लाख पारिश्रमिक का भुगतान हुआ था, जबकि वर्ष 2013-14 में उन्हें 16 करोड़ 15 लाख 51 हजार पारिश्रमिक का भुगतान किया गया। वृद्धि की यह दर 44.24 प्रतिशत अधिक है। गत वर्ष आजीविका सहयोग योजना में मछुआरों को 2 करोड़ 36 लाख 21 हजार की राशि दी गई, जो वर्ष 2012-13 की तुलना में 144.72 प्रतिशत अधिक है।

प्रदेश में मछली उत्पादन भी निरंतर बढ़ रहा है। गत वर्ष के पहले चार माह की तुलना में जुलाई माह तक 30 प्रतिशत अधिक मछली उत्पादन हुआ है। मत्स्य महासंघ के जलाशयों में पिछले साल जहाँ 1207 मीट्रिक टन मछली उत्पादित हुई थी, वहीं चालू साल में पहले चार माह में 1569 मीट्रिक टन उत्पादन दर्ज किया गया। पन्द्रह अगस्त तक मत्स्याखेट पर प्रतिबंध के बाद उत्पादन में और वृद्धि होगी। इस साल विलंब से वर्षा के कारण हालांकि स्पान का उत्पादन प्रभावित रहा। लेकिन स्टेण्डर्ड फ्राई के उत्पादन में वृद्धि हुई है। गत वर्ष स्टेण्डर्ड फ्राई का उत्पादन जो 3 लाख था, वह बढ़कर 8.74 लाख हो गया है। पिछले वर्ष जुलाई तक जहाँ 2.95 लाख मत्स्य बीज का संचयन हुआ था, वहीं वह इस साल जुलाई तक 308.09 लाख हुआ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here