भोपाल, अक्टूबर 2014/ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुश्री कुसुम महदेले ने कहा है सामूहिक पेयजल योजनाओं के माध्यम से मध्यप्रदेश में अगले दस साल में सभी घर में नल से पेयजल उपलब्ध करवाया जायेगा। मध्यप्रदेश सरकार ने सतही स्त्रोत आधारित सामूहिक पेयजल योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जल निगम का गठन किया है। सुश्री महदेले आज इंडियन वाटर वर्क्स ऐसोसिएशन, भोपाल सेंटर द्वारा ‘वॉटर क्वालिटी-ए मेजर चेलेंज’ विषय पर राष्ट्रीय सेमीनार में बोल रही थी।
सुश्री कुसुम महदेले ने कहा कि सामूहिक पेयजल योजनाओं के माध्यम से ऐसी व्यवस्था की जा रही है, जिससे महिलाओं को 100 मीटर के अंदर ही स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाया जायेगा। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए लगभग 5 लाख 21 हजार हेडपम्प स्थापित िकये गये हैं। राज्य में 12 हजार 518 नल-जल योजनाएँ और पेयजल की गुणवत्ता की निगरानी के लिए 155 प्रयोगशालाएँ कार्य कर रही हैं। जल गुणवत्ता से प्रभावित बसाहटों में प्राथमिकता से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने का काम किया जा रहा है। अब सिर्फ 1433 जल गुणवत्ता प्रभावित बसाहटें शेष बची हैं, जहाँ शीघ्र स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाया जायेगा।
सुश्री महदेले ने कहा कि 15 अगस्त 2015 तक प्रदेश की सभी शालाओं और आँगवाड़ियों में स्वच्छ पेयजल एवं शौचालय की सुविधा उपलब्ध करवाई जायेगी। प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत कार्यक्रम को लागू करवाने के लिए मर्यादा अभियान का प्रभावी क्रियान्वयन होगा। उन्होंने बताया कि लगभग एक हजार की आबादी वाले 3412 ग्राम में मुख्यमंत्री पेयजल योजना के माध्यम का क्रियान्वयन हो चुका है। शेष 588 में कार्य चल रहा है। सुश्री महदेले ने कहा कि लोगों को शुद्ध पेयजल मिले, इसके लिए जरूरी है कि पेयजल के संरक्षण, उपचार और उसे शुद्ध बनाए रखने संबंधी पाठ्यक्रम महाविद्यालयीन और इंजीनियरिंग शिक्षा में शामिल हो, ताकि जो इंजीनियर और वैज्ञानिक पीएचई विभाग की सेवा में आएँ, उन्हें विषय की भरपूर जानकारी हो तथा वे अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन कर सके।
सुश्री महदेले ने कहा कि नल-जल योजनाओं के रख-रखाव के लिए तैनात अमले का कुशल एवं प्रशिक्षित होना जरूरी है। पॉलीटेक्निक में स्किल डेव्हलपमेंट संबंधी विषय पढ़ाने की आवश्यकता भी उन्होंने बताई। गाँव से संभाग स्तर तक पेयजल योजनाओं के सफल संचालन के लिए बेहतर स्किल पर्सन होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में प्रयोगशाला सहायक और सहायक वैज्ञानिक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नदियों को जोड़ने से पेयजल की कमी वाले क्षेत्रों की पेयजल समस्या का निराकरण हो सकेगा। सुश्री महदेले ने बताया कि तेजी से गिरते भू-जल के कारण निर्णय लिया गया है कि सतही जल-स्त्रोतों पर आधारित सामूहिक नल-जल योजनाओं के माध्यम से जल-प्रदाय करवाया जाए। सामूहिक योजनाओं की निर्माण एजेंसी ही 10 साल तक उसका संचालन और संधारण करे।
सुश्री महदेले ने कहा कि प्रदेश के भौगोलिक अंतर और जटिलता से जल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। लगभग 28 जिले फ्लोराईड, 14 खारे पानी, 10 नाईट्रेट और 13 आयरन की समस्या से प्रभावित है। उन्होंने पीएचई के अभियंता और वैज्ञानिकों से जल के उपचार के साथ ही शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने में लगन तथा निष्ठा से कार्य करने का आव्हान किया।