भोपाल, अक्टूबर  2014/ ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान आज इन्दौर में मध्यप्रदेश में आईटी, आईटीईएस, बीपीओ, बीपीएम में निवेश की सुविधाओं विषयक सेक्टोरल सेमीनार में मध्यप्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए काम की सराहना की गई। सेमीनार में भारत सरकार के अधिकारियों, उद्यमियों तथा विशेषज्ञों ने प्रतिभागिता की। उन्होंने इस काम को और बेहतर करने के संबंध में सुझाव भी दिये।

भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. आर.एस. शर्मा ने अपने मुख्य वक्तव्य में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के अभियान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि अभियान का उद्देश्य भारत के हर नागरिक की ब्राण्ड बेंड कनेक्टिविटी तक पहुँच बनाना है। अगले दो वर्ष में हर पंचायत में यह सुविधा उपलब्ध हो जायेगी। डिजिटल सर्विस डिलीवरी के विषय में उन्होंने बताया कि इसमें पहचान के प्रमाणीकरण पर जोर दिया गया है। प्रत्येक व्यक्ति के पास मोबाइल फोन होना चाहिए, जिससे वह डिजिटल सुविधाओं का लाभ ले सके। डिजिटल इंडिया में हर नागरिक के बेंक एकाउंट खोलने की योजना है। वित्तीय समावेशन डिजिटल इंडिया का महत्वपूर्ण अंग है।

श्री शर्मा ने बताया कि डिजिटल इंडिया में सरकार द्वारा जारी किये जाने वाले सभी प्रमाण-पत्र और दस्तावेज डिजिटाइज होंगे। किसी भी व्यक्ति को सरकार के विभागों द्वारा जारी प्रमाण-पत्रों की प्रति दिखाने के लिये मजबूर नहीं किया जायेगा। साथ ही कोई व्यक्ति देश के किसी भी कोने में रहे, उसे पात्रता के अनुसार सुविधाएँ वहीं मिलेंगी। नगद भुगतान को कम से कम कर इलेक्ट्रॉनिक भुगतान को अधिकतम किया जायेगा।

प्रो. शर्मा ने कहा कि ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में बहुत अच्छा काम हुआ है। अभी विभिन्न एप्लीकेशन्स के बीच कनेक्टिविटी देना जरूरी है। ई-गवर्नेंस मोबाइल फोन पर उपलब्ध हो और इसके एप्लीकेशन्स को री-डिजाइन करने की जरूरत है।

पार्टनर, इन्फ्रा-स्ट्रक्चर्स एण्ड गव्हनर्मेंट सर्विसेज के श्री जयजीत भट्टाचार्य ने ईएसडीएम नीतियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहाकि इलेक्ट्रॉनिक के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएँ हैं। उन्होंने प्रक्रियाओं को सरल बनाने के साथ-साथ इससे जुड़े विषयों पर जन-जागरूकता बढ़ाने पर बल दिया। अनेक देशों का उदाहरण देते हुए बेहतर कनेक्टिविटी की जरूरत बताई। वीपी हेड-ग्लोबल गव्हनर्मेंट इंडस्ट्री ग्रुप के श्री तन्मय चक्रवर्ती ने मध्यप्रदेश में हुए शानदार विकास के लिये सरकार और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आईटी, आईटीईएस, बीपीओ, बीपीएम के क्षेत्र में अच्छा काम हुआ है। उन्होंने कहा कि उन्हें मध्यप्रदेश को केवल एक सुझाव देना है कि अगली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट तक सरकार की सारी सुविधाओं और प्रक्रियाओं को डिजिटाइज कर लिया जाये। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में एन्ड्राइड मोबाइल फोन का व्यापक रूप से प्रयोग होने लगा है। अत: अब हमें एम-गवर्नेंस की ओर बढ़ने की जरूरत है।

टेली परफार्मेंस इंडिया के श्री संजय मेहता ने कहा कि उनकी कंपनी 2007 से प्रदेश में बीपीओ सेवाएँ दे रही हैं और अभी तक कोई समस्या नहीं आई है। यहाँ की सरकार बहुत संवेदनशील है और तत्काल कार्यवाही करती है। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था में बड़ी संख्या में कर्मचारी छोटे शहरों से और 25 साल से कम उम्र के हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में प्रशिक्षण सुविधा के विस्तार की जरूरत बताते हुए ट्रेनिंग सब्सिडी दिये जाने का सुझाव दिया।

डायरेक्टर सर्व इन बीपीओ सर्विसेज श्री अभिषेक गुप्ता ने कहा कि उन्हें भोपाल में बीपीओ चलाने का बहुत अच्छा अवसर प्राप्त हुआ है। उन्हें इस काम में कोई कठिनाई नहीं आई है और उनका व्यवसाय सुचारू रूप से चल रहा है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की बीपीओ नीति बहुत अच्छी है। उन्होंने छोटे उद्यमियों को ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीओ स्थापित करने का सुझाव दिया। मेनेजिंग डायरेक्टर नेटलिंक साफ्टवेयर श्री अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार की अच्छी नीतियों और संवेदनशील प्रशासन के कारण यहाँ उद्योगपति निवेश करने को आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने छोटे शहरों में युवाओं को रोजगार देने तथा लोगों को सुविधाएँ देने के लिये बीपीओ स्थापित करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि इसके लिये युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

असेंचर इंडिया के वाईस प्रेसीडेंट श्री रवीन्द्र रेड्डी ने इस क्षेत्र में दुनिया में हुए अच्छे कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि स्थानीय उद्यमियों के माध्यम से इस क्षेत्र में उद्यम शुरू किये जाने चाहिए। उन्होंने स्थानीय तौर पर टेलेंट पूल बनाने का भी सुझाव दिया।

मध्यप्रदेश इलेक्ट्रानिक विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री एम. सेलवेन्द्रन ने कहा कि सेमीनार में विशेषज्ञों द्वारा दिये गये सुझावों को शासन की नीति में शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी समय-समय पर आवश्यकतानुसार नीतिगत परिवर्तन किये जाते रहेंगे।

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