मध्यप्रदेश में पिछले पाँच वर्ष में गेहूँ के क्षेत्रफल और उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2007-08 में जहाँ 41 लाख हेक्टेयर में गेहूँ की बुवाई हुई और 67 लाख 40 हजार टन उत्पादन हुआ वही वर्ष 2011-12 में 48 लाख 90 हजार हेक्टेयर में बोनी की गयी। इस वर्ष 1 करोड़ 27 लाख 50 हजार टन गेहूँ का उत्पादन हुआ। वर्ष 2007-08 की तुलना में यह 88.55 प्रतिशत अधिक है।

यह जानकारी विगत वर्षों की समीक्षा और अगले पाँच वर्ष में उत्पादन वृद्धि की रणनीति बनाने के लिए गेहूँ और जौ फसलों के अनुसंधानकर्त्ताओं की जयपुर में सम्पन्न 51 वीं राष्ट्रीय कार्यशाला में दी गयी। कार्यशाला में 7 देश के प्रतिनिधि शामिल थे।

वैज्ञानिकों ने बताया अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय

इस उल्लेखनीय वृद्धि की प्रशंसा करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के महानिदेशक डॉ. संधु, परियोजना निदेशक डॉ. इन्दु शर्मा और वैज्ञानिकों ने अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बताया।

प्रदेश में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता भी 1714 किलोग्राम से बढ़कर 2609 किलोग्राम हो गयी। इस वृद्धि दर के साथ मध्यप्रदेश भारत के गेहूँ उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश तथा पंजाब के बाद तीसरे क्रम पर पहुँच गया है। राज्य सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर एक सौ रुपये का बोनस दिए जाने से कृषि मंडियों में अभूतपूर्व 96 लाख 60 हजार टन गेहूँ की आवक हुई।

कार्यशाला में किसान-कल्याण तथा कृषि विकास संचालक डॉ. डी.एन.शर्मा ने बताया कि गेहूँ उत्पादन में यह वृद्धि शत-प्रतिशत बीजोपचार, जल्द पकने वाली किस्मों के प्रयोग, कतार बुवाई को प्रोत्साहन, नये कृषि यंत्र एवं तकनीकों का उपयोग, सिंचाई रकबे में वृद्धि के साथ सिंचाई पद्धति में बदलाव, जैसे स्प्रिंकलर एवं रेनगन जैसे उन्नत यंत्रों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान में वृद्धि, उपयुक्त नींदानाशकों के प्रयोग और कीट नियंत्रण के लिए चौकसी से संभव हुई।

134.80 लाख टन गेहूँ उत्पादन का लक्ष्य

कृषि संचालक के अनुसार रबी वर्ष 2012-13 में 1 करोड़ 34लाख 80 हजार टन गेहूँ उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। यह वर्ष 2007-08 की तुलना में सौ प्रतिशत अधिक है। इसके लिए लगभग पचास लाख हेक्टेयर में गेहूँ की बुवाई और उत्पादकता 2710 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक लाने का लक्ष्य है। इस वर्ष अच्छी वर्षा होने से निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

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