भोपाल, सितम्बर 2014/ मध्यप्रदेश में आजीविका संवर्धन गतिविधियों के सुनियोजित क्रियान्वयन से गरीबी उन्मूलन में व्यापक सफलता हासिल हुई हैं। डीपीआइपी परियोजना से लाभांवित हुये प्रदेश के 3.25 लाख ग्रामीण गरीब परिवारों की कुल वार्षिक आय अब 1377 करोड़ आंकी गई है। पहले कर्ज के लिये साहूकारों पर निर्भर रहने वाले लाखों गरीब निर्धन परिवार विभिन्न आजीविका गतिविधियों के जरिये 3 से 15 हजार रुपये तक हर माह अर्जित कर रहे हैं। करीब 30 हजार ग्रामीण परिवारों की औसत वार्षिक आय बढ़कर एक लाख से अधिक हो गई है। प्रदेश में संचालित जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना (डीपीआईपी) के क्रियान्वयन की समीक्षा के दौरान विश्व बेंक के सुपरविजन मिशन दल ने एकमत से इन उपलब्धियों को सराहा है। प्रदेश में वर्ष 2009 में शुरू हुए जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना में 15 जिलों के 53 विकासखण्ड के 4,806 चयनित गाँव में आजीविका संवर्धन गतिविधियाँ संचालित हैं।

विश्व बेंक के टास्क टीम लीडर केविन क्रॉक फोर्ड के नेतृत्व में प्रदेश के भ्रमण पर आये विश्व बेंक सुपरविजन मिशन दल के सदस्यों ने डीपीआईपी परियोजना में संचालित आजीविका गतिविधियों, नवाचारों और महत्वपूर्ण गतिविधियों के बारे में आज यहाँ विस्तार से चर्चा की। परियोजना समन्वयक डीपीआईपी श्री एल.एम. बेलवाल ने विश्व बेंक दल के सदस्यों को बताया कि प्रदेश में अब तक 35 हजार 235 स्व-सहायता समूहों का गठन हुआ है। इन समूहों से 4 लाख 4 हजार 612 ग्रामीण परिवारों को जोड़ा जा चुका है। इनमें 1 लाख 9 हजार 836 अनुसूचित-जनजाति और 90 हजार 235 अनुसूचित-जाति के परिवार शामिल हैं। स्व-सहायता समूहों को अब तक आजीविका संवर्धन गतिविधियों के लिये 374.63 करोड़ की वित्तीय सहायता मुहैया करवाई जा चुकी है। समूहों द्वारा अपनी बचत की राशि सहित सदस्य ग्रामीण परिवारों को आजीविका गतिविधियों के लिये 429 करोड़ रुपये की मदद दी गई है। आजीविका गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये 18 हजार 567 स्व-सहायता समूहों को 148.51 करोड़ रुपये का बेंक लिंकेज किया जा चुका है। श्री बेलवाल ने क्लस्टर आधारित गतिविधियों के अंतर्गत डेयरी, पोल्ट्री और लघु व्यवसाय गतिविधियों की सफलता को भी दर्शाया।

श्री केविन क्रॉक फोर्ड ने दल के सदस्यों द्वारा किये गये मैदानी भ्रमण के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि स्व-सहायता समूहों की मदद से लाखों गरीब परिवारों के जीवन में सुखद आर्थिक बदलाव आया है। यह समूह ग्रामीण परिवारों के आर्थिक उत्थान के साथ-साथ गाँवों के समग्र विकास और सामाजिक बदलाव में भी सशक्त भूमिका निभा रहे हैं। महिला सशक्तिकरण के प्रयासों और ग्राम-सभाओं में ग्रामीण महिलाओं की व्यापक भागीदारी से गाँवों की तस्वीर बदली है। आत्म-विश्वास से भरपूर यह महिलाएँ अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ सामाजिक दायित्वों का भी बखूबी निर्वाह कर रही हैं। श्री केविन क्रॉक फोर्ड ने परियोजना के जरिये स्थापित प्रोड्यूसर कम्पनियों के बेहतर प्रबंधन की सराहना भी की। उल्लेखनीय है कि परियोजना में 18 प्रोड्यूसर कम्पनियों का गठन हो चुका है। इनमें 15 कृषि आधारित प्रोड्यूसर कम्पनियाँ हैं। वर्ष 2013-14 में कृषि आधारित प्रोड्यूसर कम्पनियों का टर्न-ओवर 22.20 करोड़, डेयरी आधारित प्रोड्यूसर कम्पनियों का टर्न-ओवर 1.60 करोड़ तथा पोल्ट्री आधारित प्रोड्यूसर कम्पनियों का टर्न-ओवर बढ़कर 123.85 करोड़ रुपये हो गया है।

परियोजना समन्वयक श्री बेलवाल ने कहा कि ग्राम-पंचायत, ग्राम सभा, ग्राम विकास समितियों और ग्राम संगठनों में अब ग्रामीण महिला हितग्राहियों की सशक्त भागीदारी है। जन-धन योजना में हितग्राहियों ने आगे बढ़कर बेंक खाते खुलवाये हैं। हितग्राही परिवारों के सदस्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, बीमा योजनाओं का भी जागरूकता से लाभ ले रहे हैं।

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