भोपाल, सितम्बर 2014/ गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम के क्रियान्वयन में आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी जोड़ा जायेगा। जिला-स्तर पर टीम बनाकर हर सप्ताह अधिक से अधिक अल्ट्रा सोनोग्राफी क्लीनिक का निरीक्षण कर सतत निगरानी रखी जायेगी। सामान्य से अधिक भ्रूण हत्या वाले केन्द्रों को चिन्हित कर उन पर विशेष नजर रखी जायेगी। कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध कार्य करने वाले स्वैच्छिक संगठनों और व्यक्तियों को पुरस्कृत किया जायेगा। प्रत्येक जिला स्थानीय मुद्दों और सफलता के आधार पर एक्शन प्लान बनाकर लक्ष्य की प्राप्ति के प्रयास करेगा। यह निर्णय आज यहाँ मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग एवं पीसीपीएनडीटी एक्ट की राज्य सलाहकार समिति की अध्यक्ष श्रीमती उपमा राय की अध्यक्षता में पीसीपीएनडीटी एक्ट की राज्य सलाहकार समिति की बैठक में लिये गये।
श्रीमती उपमा राय ने मध्यप्रदेश में घटते लिंगानुपात पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में 1000 बालकों पर मात्र 918 बालिकाएँ हैं। प्रदेश में भारी संख्या में कार्यरत आँगनवाड़ी कार्यकर्ता गर्भावस्था से ही महिला से जुड़ जाती हैं, जिनके माध्यम से सुदूर क्षेत्रों में भी निगरानी रखने में काफी मदद मिलेगी। श्रीमती राय ने कहा कि प्रत्येक जिले की अपनी जरूरतें तथा माँगें होती हैं, उनके अनुसार एक्शन प्लान बनाकर लक्ष्य हासिल करें। प्रत्येक 3 माह में समीक्षा करें। चिन्हित जिलों के लिये विशेष कार्य-योजना बनायें। अधिनियम में जो संशोधन किये गये हैं, उनका भी अक्षरश: पालन किया जाये। जिन जिलों में लिंगानुपात लगातार घट रहा है, उन पर विशेष नजर रखते हुए लगातार समीक्षा, निरीक्षण और स्टिंग ऑपरेशन करें। विवेचना के समय प्रत्येक सबूत को इकट्ठा करें, ताकि अपराधी व्यक्ति को अधिनियम के तहत सजा दिलाई जा सके।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश के 16 जिले- ग्वालियर, गुना, शिवपुरी, श्योपुर, भिण्ड, दतिया, मुरैना, इंदौर, सीहोर, सतना, नरसिंहपुर, रीवा, छतरपुर, सीधी, पन्ना और टीकमगढ़ में लिंगानुपात औसत (918) से भी कम है। बैठक में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ, पेथालाजिस्ट, विधि विशेषज्ञ और समाजसेवियों ने भाग लिया।