भोपाल, अगस्त 2014/ मध्यप्रदेश सरकार हेंडपम्पों के माध्यम से जल प्रदाय को विशेष महत्व दे रही है। इसी दृष्टि से इस साल हेंडपम्प के रख-रखाव आदि के लिए बजट में पर्याप्त राशि रखी गई है।
प्रदेश में वर्तमान में लगभग 5 लाख 20 हजार से अधिक हेंडपम्प स्थापित है। इन सभी हेंडपम्प का संधारण लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा किया जा रहा है। इनमें से 93.86 प्रतिशत अर्थात् लगभग 4 लाख 89 हजार हेंडपम्प चालू हालत में। लगभग 32 हजार हेंडपम्प मुख्यत: जल-स्तर काफी नीचे चले जाने के कारण बंद है। हेंडपम्प संधारण के लिये 1000 संविदा हेंडपम्प तकनीशियन लगाये गये थे, जिन्हे पूर्व में प्रतिमाह 5000 रुपये का भुगतान किया जा रहा था। इसे अब बढ़ाकर 6500 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है।
हेंडपम्पों के समुचित रख-रखाव, कल पुर्जे एवं पाइप आदि सामग्री उपलब्ध करवाने तथा मजदूरी आदि के लिये चालू माली साल के बजट में 77 करोड़ 92 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें राज्यांश 38 करोड़ 96 लाख तथा शेष राशि केन्द्रांश है। सरकार ने पिछले वर्ष 2013-14 में पुराने क्षतिग्रस्त टूटे-फूटे प्लेटफार्म के निर्माण के लिए निर्धारित 30 हजार के लक्ष्य के विरुद्ध 24 हजार 68 प्लेटफार्म निर्मित करवाए गये थे। इसी प्रकार चालू साल में 24 हजार हेंडपम्प के पुराने टूटे-फूटे प्लेटफार्म के पुनर्निर्माण के लिए 21 करोड़ रुपये व्यय किये जा रहे हैं। इसमें राज्यांश 10 करोड़ 50 लाख तथा केन्द्रांश भी इतना ही है। इससे टूटे-फूटे प्लेटफार्म के स्थान पर नये प्लेटफार्म का निर्माण हो सकेगा तथा प्रदूषित जल को नलकूप में जाने से रोका जा सकेगा।
प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र में सुलभ एवं त्वरित पेयजल व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिए हेंडपम्प के रख-रखाव के कार्य को मध्यप्रदेश लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम के दायरे में रखा गया है। इसके अतिरिक्त राज्य स्तर पर शिकायतों के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में भी बिगड़े हेण्डपम्प की शिकायतों को गंभीरता से लेकर उनका निराकरण करवाया जा रहा है।
प्रदेश में हेंडपम्प को चालू हालत में रखने के लिये इसी साल फरवरी माह में विशेष हेंडपम्प संधारण अभियान चलाया गया था। अभियान में विभागीय कर्मचारियों द्वारा ग्रामों के समस्त हेंडपम्प का निरीक्षण कर आवश्यकता के अनुसार सुधार कार्य किये गये।
विभाग ने हर साल की तरह इस बार भी विगत अप्रैल से सभी कार्यालय में हेंडपम्प संधारण कार्य की शिकायतें प्राप्त करने के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है। बिगड़े हेंडपम्पों की शिकायतें दर्ज करने के लिए ऐसी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली स्थापित करने का प्रयास भी किया जा रहा है, जिसके बाद ग्रामीणों को कार्यालय तक आने की आवश्यकता नहीं होगी। ग्रामीण एक एसएमएस के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करवा सकेंगे। शिकायत के संबंध में हुई कार्यवाही की सूचना भी एसएमएस के द्वारा दी जा सकेगी।
उल्लेखनीय है कि पीएचई विभाग ग्रामीण क्षेत्र में छोटी बसाहटों में हेंडपम्प एवं बड़ी बसाहटों में नलजल प्रदाय योजनाओं के माध्यम से पेयजल व्यवस्था करता है।