भोपाल, जुलाई 2014/ किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा प्रदेश के किसानों को सलाह दी गई है कि मानसून की विलम्बित परिस्थिति को देखते हुए वे सोयाबीन की बोवाई आगामी वर्ष 30 जुलाई तक कर सकते हैं। सामान्यतः सोयाबीन की बोवाई 20 जुलाई तक ही की जाती है।
संचालक किसान-कल्याण तथा कृषि विकास डॉ. डी.एन. शर्मा ने किसानों से अपील की है कि जिन किसानों के पास सोयाबीन का बीज, उर्वरक एवं अन्य आदान के साथ सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं वे वर्षा थमते ही, बोवाई के कार्य में जुट जाएं। विशेष रूप से वे किसान जो लगातार वर्षा से बतर न मिल पाने के कारण बोवाई नहीं कर पाये हों, उन्हें 30 जुलाई तक बोवाई करने का समय शेष है।
संचालक कृषि के अनुसार जिन किसानों के पास सितम्बर-अक्टूबर माह में एक-दो सिंचाई के लायक पानी उपलब्ध रहने की संभावना हैं, वे ही सोयाबीन बोयें। इसका कारण मौसम की अनिश्चितता है। इसलिये सितम्बर अंत से अक्टूबर के द्वितीय सप्ताह तक दूध भरने की अवस्था में यदि वर्षा की कमी के कारण नमी क्षरण हो तो भी जीवन रक्षक सिंचाई की व्यवस्था होने पर सुनिश्चित उत्पादन लिया जा सकता है। वर्षा आधारित खेती करने वाले किसानों के पास भी सोयाबीन को छोड़कर कई फसलों की बोवाई के विकल्प मौजूद हैं। इन्हें कम पानी की माँग वाली फसलों की बोवाई करना चाहिये। इनमें प्रमुख रूप से मूंग तथा उड़द दाल वाली फसलें हैं। इसी प्रकार ज्वार, मक्का, बाजरा, रागी, कोदो तथा कुटकी, कुटकी मोटे अनाज वाली और तिल तथा रामतिल तिलहनी फसलें शामिल हैं।