भोपाल, जुलाई 2014/ मध्यप्रदेश सरकार महान कलाकार स्व. राजकपूर के नाम से रीवा में विश्व-स्तरीय ऑडिटोरियम बनाएगी। श्री राजकपूर का रीवा से काफी पुराना नाता था।
यह बात जनसम्पर्क, ऊर्जा एवं खनिज मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने रीवा में दो दिवसीय विन्ध्य महोत्सव का शुभारंभ करते हुए कही। उन्होंने कहा कि बघेली संस्कृति-साहित्य को संरक्षित एवं संवर्धित करने की आवश्यकता है, तभी हम अपनी विरासत से आने वाली पीढ़ी को अवगत करवा सकने में सक्षम होंगे। हमारी समृद्धशाली विरासत को सहेजना होगा। विकास के विभिन्न आयाम जैसे सड़क निर्माण, कृषि उत्पादन के साथ बघेली संस्कृति, साहित्य, पर्यटन आदि को भी समन्वित करना होगा, तभी रीवा की विशिष्टताओं को देश के नक्शे पर उकेरने में सफलता मिलेगी। महोत्सव के आयोजन के साथ ही सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ाने के सभी प्रयास किये जायेंगे। रीवा से जुड़े विभिन्न विधाओं के महान व्यक्तियों के कार्यों को भी सहेजा जाएगा।
श्री शुक्ल ने बघेली रचनाधर्मिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिये रचनाकारों को शाल, श्रीफल, सम्मान-निधि, सम्मान-पत्र और प्रतीक-चिन्ह देकर सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में श्री गोपाल शरण तिवारी-रीवा, डॉ. लहरी सिंह-सीधी, श्री दयाराम गुप्ता-ब्यौहारी, रामनारायण सिंह राना-सतना, कैलाशचन्द्र सक्सेना-रीवा एवं विश्वनाथ पाण्डेय-रीवा शामिल हैं। जनसम्पर्क मंत्री ने डा. हाकिम सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘म्याछा उखार ल्याब‘ एवं श्री बनर्जी की पुस्तक ‘खोंथइला‘ का विमोचन किया।
वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल ने बघेली बोली व भाषा की पहचान बनाने की बात करते हुए विन्ध्य महोत्सव को शासन के सांस्कृतिक कलेण्डर में शामिल किये जाने का अनुरोध किया। उन्होंने बघेली अकादमी बनाने की बात भी कही। इस मौके पर अवधेश प्रताप सिंह विश्व विद्यालय के कुलपति डा. रहस्यमणि मिश्रा, महापौर शिवेन्द्र सिंह सहित कई गण्यमान्य लोग उपस्थित थे।