भोपाल, जुलाई 2014/ राज्य शासन ने प्रदेश में नागरिकों को डेंगू और मलेरिया से बचाव के लिये उपचार की आवश्यक व्यवस्था की है। प्रदेश में 16 स्वास्थ्य संस्था में डेंगू की जाँच मैक एलाइजा किट के माध्यम से करने की व्यवस्था की गई है। जिन 16 संस्था में यह व्यवस्था है, उनमें 5 चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल, रीवा, जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर के अलावा 7 जिला चिकित्सालय भोपाल, खण्डवा, सागर, बैतूल, छिन्दवाड़ा, सतना, उज्जैन शामिल हैं।
भोपाल में जे.पी. अस्पताल, बीएमएचआरसी और जिला मलेरिया कार्यालय में यह सुविधा उपलब्ध है। जबलपुर के आरएमआरसीटी में भी डेंगू जाँच मैक एलाइजा किट से की जा रही है। जिम्मेदार अमले द्वारा तत्परता से दायित्व निर्वहन किये जाने से इन रोगों के नियंत्रण में सफलता मिली है। प्रत्येक स्तर के अस्पताल में आवश्यक दवाएँ उपलब्ध हैं और रोग के उपचार का माकूल इंतजाम किया गया है।
स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी नियमित रूप से डेंगू और मलेरिया के ऐहतियातन बचाव और उपचार की कार्यवाही की समीक्षा कर रहे हैं। प्रदेश में लक्षण के आधार पर डेंगू का उपचार किया जा रहा है। डेन वायरस से डेंगू बुखार होता है। इसका फैलाव एडीज नामक संक्रमित मच्छर की वजह से होता है। चूँकि यह मच्छर नमीयुक्त स्थानों और अंधेरी जगहों पर पाया जाता है, इसलिये घरों में आवश्यक स्वच्छता की समझाइश भी नागरिकों को दी जा रही है। घरों में पानी से भरे कंटेनर, जैसे कूलर और ओव्हरहेड टेंक, टायर और छतों पर अनावश्यक सामान में भरे पानी से यह मच्छर पैदा होता है।
प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालय में रक्त में प्लेटलेट घटक की जाँच के लिये आवश्यक व्यवस्था की गई है। छह स्थानों में ब्लड प्लेटलेट सेपरेशन की व्यवस्था की गई है। इनमें एम.वाय. हॉस्पिटल इंदौर, जे.पी. अस्पताल भोपाल, जया आरोग्य अस्पताल, ग्वालियर, विक्टोरिया अस्पताल जबलपुर के अलावा उज्जैन और रतलाम के जिला चिकित्सालय शामिल हैं। घरों के आसपास मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिये टेमोफॉस का छिड़काव किया जा रहा है। नगरीय निकाय भी डेंगू नियंत्रण में सहयोग कर रहे हैं।
प्रदेश में इस वर्ष की पहली छमाही में 37 लाख 57 हजार रक्त-पट्टी का संग्रह किया गया। लगभग 15 हजार मलेरिया के रोगी पाये गये, जिनका उपचार किया गया। प्रदेश के 15 जिलों के समस्याग्रस्त ग्रामों में डीडीटी का छिड़काव किया जा रहा है। इसी तरह 19 जिलों में चिन्हित ग्रामों में मलेरिया नियंत्रण के लिये सिंथेटिक पायरेथ्राईड कीटनाशी दवा का छिड़काव किया जा रहा है। करीब 56 हजार आशा कार्यकर्ता ग्राम-स्तर पर रेपिड डायग्नोस्टिक किट के माध्यम से मलेरिया की जाँच का कार्य कर रही है। पूरे प्रदेश में विशेष निगरानी करते हुए बुखार के लक्षण देखते हुए रोगियों को आवश्यक उपचार दिया जा रहा है।