भोपाल, जुलाई 2014/ किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी एवं मध्यप्रदेश कृषि संचालनालय की रजत जयंती के अवसर पर ‘लघु जोत कृषि यंत्रीकरण” पर संगोष्ठी का शुभारंभ किया। उन्‍होंने कहा कि आज मशीनीकरण का युग है। खेती में उत्पादन बढ़ोतरी में लघु जोत कृषि यंत्रीकरण आवश्यक है। हम दलहन, तिलहन उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है और मोटे अनाज में हमारा योगदान 12 प्रतिशत है।

गाँव के पढ़े-लिखे युवा को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के लिए राज्य शासन द्वारा ‘कस्टम हायरिंग” सेवा प्रारंभ की गई है। इसमें कृषि यंत्र खरीदने के लिए 40 वर्ष तक के स्नातक युवक को 25 लाख तक ऋण दिया जाता है। इस पर 10 लाख रुपये अनुदान की सुविधा है। राज्य शासन द्वारा कृषि यंत्रों पर 13 प्रतिशत वेट समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा 2 प्रतिशत टैक्स भी कम होगा। शासन द्वारा कृषि यंत्रों पर टॉप अप अनुदान भी दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश में खुरई की ट्राली और सागर में निर्मित होने वाले कृषि यंत्र उच्च गुणवत्ता के हैं।

श्री बिसेन ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद में भी मध्यप्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान है। हम हर बड़े जिले में दो-दो कृषि विज्ञान केन्द्र खोलने जा रहे हैं। छतरपुर में उद्यानिकी कॉलेज खुलेगा। किसानों को खेती के साथ दुग्ध व्यवसाय के लिए भी प्रेरित किया जायेगा। प्रदेश में बजट के प्रबंधन के साथ-साथ हर जिले में कृषि अभियांत्रिकी के कार्यालय खोलेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिक्षित बेरोजगारों को अपना स्वयं का रोजगार स्थापित करने के लिए ऋण की सीमा 25 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ कर दी है। इससे हमारे नौजवान मत्स्य, खाद्य प्र-संस्करण, डेयरी उद्योग लगा सकेंगे।

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