भोपाल, जुलाई 2014/ अनुसूचित जाति-जनजाति के महाविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की आवासीय कठिनाइयों को देखते हुए राज्य शासन ने इन विभागों के प्री-मेट्रिक एवं पोस्ट-मेट्रिक छात्रावास प्रवेश नियम में आंशिक संशोधन किया है। अब प्री-मेट्रिक छात्रावास में दसवीं कक्षा उत्तीर्ण कर चुके छात्र बारहवीं कक्षा तक छात्रावास में रह सकेंगे। छात्रावास में नियमानुसार दसवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को प्रवेश देने के बाद रिक्त स्थानों में ग्यारहवीं और बारहवीं के विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जा सकेगा। शिष्यवृत्ति एवं पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृत्ति की दरें पूर्ववत रहेंगी।
इसी तरह पोस्ट-मेट्रिक छात्रावासों में अनुसूचित वर्गों के महाविद्यालीन और स्नातकोत्तर विद्यार्थी यदि पूर्व से ही रह रहे हैं, तो उन्हें पाठ्यक्रम पूर्ण होने तक छात्रावास में रहने की अनुमति मिल सकेगी। इन छात्रों को यह प्रवेश छात्रावासों में ग्यारहवीं एवं बारहवीं के विद्यार्थियों को प्राथमिकता से प्रवेश के बाद रिक्त सीटों पर दिया जायेगा।
पाठ्यक्रम पूर्ण होने के पश्चात किसी भी विद्यार्थी को छात्रावास में रहने की पात्रता नहीं रहेगी। इसी तरह विद्यार्थी द्वारा पाठ्यक्रम पूर्ण होने के पश्चात उसी स्तर के दूसरे पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने पर और एक बार से ज्यादा एक ही कक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर भी छात्रावास में रहने की पात्रता नहीं रहेगी।
अनुसूचित जाति कल्याण विभाग और आदिम-जाति कल्याण विभाग ने स्पष्ट किया है कि महाविद्यालयों में अध्ययनरत एवं पोस्ट-मेट्रिक छात्रावासों में निवासरत अजा-अजजा विद्यार्थी अपनी शिक्षा पूर्ण होने तक छात्रावासों में रह सकेंगे1 छात्रावासों से अलग करने की कोई कार्यवाही न तो पहले प्रचलित थी और न आगे की जायेगी। पोस्ट-मेट्रिक छात्रावासों में कमी को देखते हुए इनमें प्रवेश के नियम अलग से जारी किये जायेंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के कक्षा 11 एवं 12वीं के एक लाख विद्यार्थी तथा अनुसूचित जाति के एक लाख 84 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इस प्रकार कक्षा 11 एवं 12वीं में ढाई लाख से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इसके विरूद्ध छात्रावास सुविधा मात्र 12 हजार 875 विद्यार्थी के लिये उपलब्ध है। वर्तमान में अनुसूचित जनजाति के मात्र 110 और अनुसूचित जाति के 124 पोस्ट-मेट्रिक छात्रावास ही उपलब्ध हैं, जिनमें क्रमश: 6450 एवं 6425 विद्यार्थी के लिये सुविधा उपलब्ध है।