भोपाल, जुलाई 2014/ विश्व जनसंख्या दिवस पर प्रशासन अकादमी में आयोजित कार्यशाला में स्वास्थ्य आयुक्त पंकज अग्रवाल ने कहा कि छोटे परिवारों की अहमियत से सभी को परिचित होना आवश्यक है। छोटा परिवार गृहणी के स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। बच्चे की माँ की सेहत तभी ठीक रहेगी जब बच्चे कम हों और उनके जन्म के बीच अंतराल हो। आशा कार्यकर्ता पर दंपतियों को छोटे परिवार की समझाइश देने का महत्वपूर्ण दायित्व है। मध्यप्रदेश में इस समय प्रति माता 2.9 अर्थात लगभग तीन शिशु का औसत है जिसे घटा कर 2.1 पर लाने का लक्ष्य है। परिवार कल्याण कार्यक्रम में परिवार सीमित रखने के लिए दंपतियों को स्थायी और अस्थायी गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन फैज अहमद किदवई ने कहा कि आशा कार्यकर्ता, महिला और पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता और नागरिकों के बीच परस्पर संवाद आवश्यक है। सीमित परिवार के लिए कार्य करने वाले स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी एक तरह की राष्ट्र सेवा का कार्य करते हैं। नवविवाहितों सहित अन्य सभी दंपत्तियों को भी परिवार में कम बच्चों के महत्व से अवगत करवाने का कार्य किया जा रहा है। इस कार्यक्रम को ममता अभियान के घटक के रूप में भी लागू किया जा रहा है।
कार्यक्रम में जिला स्वास्थ्य समिति भोपाल के माध्यम से आमंत्रित आशा कार्यकर्ताओं को श्रेष्ठ कार्य के लिए प्रशस्ति-पत्र दिए गए। इनमें श्रीमती दीपा सेन, श्रीमती उमा सराठे, श्रीमती पिंकी केथवास, श्रीमती गीता शामिल हैं। इन आशा कार्यकर्ता ने दो बच्चियों के जन्म के बाद परिवार कल्याण कार्यक्रम अपनाया है। भोपाल के वार्ड क्रमांक चार की आशा कार्यकर्ता श्रीमती ममता शर्मा और वार्ड क्रमांक सात की आशा कार्यकर्ता श्रीमती आरती सोनवाने को उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया। इन आशा कार्यकर्ता द्वारा बीपी चेक करने, प्रेग्नेन्सी किट के उपयोग और महिलाओं को सेहत की देखभाल की समझाइश देने का कार्य किया गया। परिवार कल्याण कार्यक्रम और टीकाकरण में विशेष परिणाम लाने पर आशा कार्यकर्ता श्रीमती आरती को 24 हजार की प्रोत्साहन राशि भी प्राप्त हुई है।
कार्यक्रम में सराहनीय सेवाओं के लिए डॉ. सुषमा निगम, डॉ. आभा शुक्ला, डॉ. श्रद्धा अग्रवाल को भी प्रशस्ति-पत्र प्रदान किए गए।