भोपाल, जुलाई 2014/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि यह रेल बजट इस बात का द्योतक है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के पुनर्निर्माण का यज्ञ प्रारंभ कर दिया है। इस बजट में विकास के प्रति जो एप्रोच अपनाई गई है, वह भविष्य के प्रति निश्चित रूप से आश्वस्त करती है।

श्री चौहान ने कहा कि यूपीए सरकार ने पटरी से उतर गई रेल व्यवस्था को वापस ट्रेक पर लाने के लिये कोई इच्छा-शक्ति नहीं दर्शाई थी। भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने रेल व्यवस्था के बुनियादी आधार-स्तंभ को पहले ठीक करना चाहा है। रेल बजट को किसी पॉलिटिशियन का नहीं बल्कि स्टेट्समेन का बजट है। एफडीआई के प्रति भी सेलेक्टिव पॉलिसी अपनाई गई है, न तो उसके पीछे अंधे होकर भागा गया है और न उसे अछूत मानकर चला गया है। इन्फ्रास्ट्रक्चर में एफडीआई को आमंत्रित किया जा रहा है, आपरेशंस में नहीं। यह एक संतुलित नीति है। रेल बजट इस बात को रेखांकित करता है कि यात्रियों की सुविधाएँ बढ़ाने और खस्ताहाल ट्रेन के आधुनिकीकरण से ही भारतीय रेलवे की विश्वसनीयता स्थापित हो सकती है। सफाई के लिये बजट में 40 प्रतिशत की वृद्धि को विशेष सराहनीय है।

मुख्यमंत्री ने इंजीनियरिंग के छात्रों को रेल इंटर्नशिप के प्रस्ताव को बहुत आकर्षक बताते हुए कहा कि इससे युवाओं की एम्प्लायबिलिटी बढ़ेगी। तीर्थ-स्थलों के लिये विशेष ट्रेन सर्किट का प्रस्ताव भी स्वागत योग्य है। भारत जैसे धर्मप्राण देश में धार्मिक पर्यटन की जबर्दस्त संभावनाएँ हैं। विवेकानंद के डेढ़ सौ वें वर्ष में उनकी भारतयात्रा का सर्किट एक बहुत उत्साहजनक सोच है।

यह रेल बजट नई ट्रेनें शुरू करने की जगह, ढहती और छीजती हुई रेल प्रणाली में प्राण फूंकने पर केंद्रित है। मध्यप्रदेश के लिए इन्दौर-जम्मू-तवी, राजकोट-रीवा, बांद्रा-नागदा की नई ट्रेनें मिली हैं। उज्जैन-झालावाड़-आगर-सुसनेर-सोयत की रेल लाइन का सर्वे होना और शताब्दी को हबीबगंज तक बढ़ाया जाना जैसे बहुत से कदम हैं, जो मध्यप्रदेश के लोगों को लाभ पहुँचायेंगे।

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