भोपाल, जुलाई 2014/ मध्यप्रदेश में विगत विधानसभा चुनाव के पूर्व तीन दिन में 140 खदान आवंटन में अनियमितता का आरोप लगाने वाली याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। न्यायालय ने खनिज संसाधन मंत्री राजेन्द्र शुक्ल पर लगाये गये सभी आरोपों को बेबुनियाद पाया है।
परिश्रम समाज एवं समाज कल्याण समिति ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के पूर्व खनिज संसाधन मंत्री ने 3 दिन में 1200 आवेदन से संबंधित 140 खदान का आवंटन किया था, जिसमें अनियमितता हुई। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका में 8 अक्टूबर, 2013 को सुनवाई करते हुए प्रकरण में यथा-स्थिति बनाये रखे जाने के निर्देश दिये थे।
आवेदक ने आरोप लगाया था कि 20 व 27 अगस्त और 3 सितम्बर, 2013 को की गई सुनवाई की प्रक्रिया अवैधानिक थी। इसलिये इन दिवसों में की गई सुनवाई की जाँच सीबीआई से करवाई जाये। आवेदक ने सीबीआई को भी पक्षकार बनाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने अंतिम सुनवाई 1 जुलाई, 2014 को निर्धारित करते हुए सभी पक्षों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिये निर्देशित किया था। मध्यप्रदेश खनिज विभाग ने अपने जवाब में खदान आवंटन से संबंधित समस्त प्रक्रिया का नियमानुसार पालन किये जाने की बात कही।
सीबीआई ने न्यायालय को अवगत करवाया कि याचिका में लगाये गये आरोप वास्तविकता से परे हैं और खदान आवंटन में किसी भी तरह की अवैधानिकता नहीं की गई है। अत: उक्त याचिका गुण-दोष के आधार पर निरस्त करने योग्य है। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद पारित अंतिम आदेश में खनिज संसाधन मंत्री राजेन्द्र शुक्ल पर लगाये गये खनिज आवंटन से संबंधित सभी आरोप बेबुनियाद पाते हुए याचिका को खारिज कर दिया।